Lucknow News- उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली अप्रत्याशित हार के बाद से संगठन ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया है। बता दें कि 80 सीटों में से पार्टी को सिर्फ 33 सीटें मिली हैं। वहीं, उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) 1 और रालोद को 2 सीट जीत पाने में कामयाब मिली है। इसके कारणों को जानने के लिए पार्टी की तरफ से प्रतिनिधिमंडल का गठन किया गया और उन्हें जिलों के दौरे पर भेजा है। प्रतिनिधिमंडल हार के कारणों की समीक्षा करेगी।
हार के कारणों की समीक्षा करेगी पार्टी
उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिली अप्रत्याशित हार के कारणों की समीक्षा करने के लिए पार्टी ने प्रतिनिधिमंडल का गठन करने के बाद प्रतिनिधिमंडल को जिलों के दौरे पर भेजा है। यह टीम जिलों में जाकर हार के कारणों की तलाश करेंगी। कई जिलों में समीक्षा बैठक के दौरान ही प्रदेश से भेजे गए नेताओं के सामने हाथापाई की नौबत भी आ चुकी है। इस मामले में भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आलोक वर्मा का कहना है कि पार्टी हार के कारणों की पड़ताल कर रही है। हर चुनाव के बाद समीक्षा की जाती है। इस बार भी समीक्षा बैठकें हो रही हैं। जो खामियां निकलकर आएंगी, उन्हें दूर करते हुए पार्टी विधानसभा के उप-चुनाव में पूरी दमदारी के साथ चुनाव लड़ेगी।
वहीं, लोकसभा चुनाव के बाद समीक्षा के बारे में भाजपा के कुछ नेताओं का मानना है, कि पार्टी 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उप-चुनाव की तैयारी करने के बजाए लोकसभा चुनाव में हार के कारणों की समीक्षा कर समय बर्बाद कर रही है, क्योंकि उप-चुनाव की तैयारी में अगर देरी हुई, तो इसके परिणाम भी आशा के विपरीत आ सकते हैं।
इन सीटों पर होंगे विधानसभा उप-चुनाव
बता दें कि उत्तर प्रदेश की जिन 9 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव होना है, उनमें मिल्कीपुर सुरक्षित सीट, कटेहरी, फूलपुर, गाजियाबाद, मझवा, मीरापुर, खैर, करहल व कुंदरकी विधानसभा सीट शामिल हैं। इन सभी सीटों में से सपा के खाते में 4 सीटें और भाजपा के खाते में 3 सीटें थी। भाजपा की सहयोगी रालोद और निषाद पार्टी के पास एक-एक विधानसभा सीट थी। इसके साथ ही कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट से सपा विधायक इरफान सोलंकी को सजा सुनाए जाने से रिक्त सीट पर भी उप-चुनाव होगा।