पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में हुए रेल हादसे में मृतकों की संख्या बढ़कर 10 हो गई है। इस दुर्घटना में घायल हुए 40 से ज्यादा यात्रियों का अस्पतालों में इलाज जारी है। बता दें कि 17 जून की सुबह एक मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी थी।
इस मामले में नॉर्थ-ईस्ट फ्रंटियर रेलवे,, हादसे के कारणों का पता लगाने के लिए 19 जून को जांच करेगी। ये जांच चीफ कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी जनक गर्ग ADRM चेंबर में करेंगे। इसके लिए हादसे से जुड़े सबूतों को जांच अधिकारी के पास भेजने को कहा गया है। साथ ही कुछ लोगों को भी बुलाया गया है।
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कैसे हुआ हादसा ?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो दावा किया जा रहा है कि रानीपात्रा रेलवे स्टेशन और छत्तर हाट जंक्शन के बीच ऑटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम सुबह 5.50 बजे से ही खराब था। कंचनजंगा एक्सप्रेस सुबह 8:27 बजे रंगापानी स्टेशन से रवाना हुई और आगे जाकर रानीपात्रा स्टेशन से छत्तर हाट के बीच रुकी रही।
दरअसल जब सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी आती है तो स्टेशन मास्टर TA-912 रिटेन अथॉरिटी या नोट जारी करता है। ये ड्राइवर को खराबी के कारण सभी रेड सिग्नल पार करने का अधिकार देती है। रानीपात्रा के स्टेशन मास्टर ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को TA-912 जारी किया था। ट्रेन 10 मिनट तक यहां रुकी रही। जब सुबह 8:42 बजे रंगापानी से मालगाड़ी निकली तो वो वो 8.55 बजे कंचनजंगा एक्सप्रेस से भिड़ गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दोनों ट्रेनों के लोको पायलट को रंगपानी स्टेशन और चटरहाट स्टेशन के बीच ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम में खराबी की जानकारी दी थी। इन दोनों स्टेशनों में सिग्नल की खराबी को लेकर रेलवे ने सोमवार की सुबह दोनों ही ट्रेनों को अलग-अलग समय पर रिटेन नोट या मेमो जारी किया था।
कब दिया जाता है रिटेन नोट या मेमो ?
आटोमेटिक सिग्नलिंग सिस्टम काम ना करने की स्थिति में रेलवे कर्मचारियों द्वारा एक नोट (मेमो) लोको पायलट को दिया जाता है, जो उसे सभी रेड सिग्नल को क्रॉस करने की मंजूरी देता है। रेलवे के नियम के मुताबिक, ड्राइवर को हर डिफेक्टिव सिग्नल पर एक मिनट के लिए ट्रेन को रोकना चाहिए था। इतना ही नहीं, इस दौरान ट्रेन की स्पीड भी 10 किमी प्रति घंटे की ही होनी चाहिए थी। फिलहाल इन सब बातों को लेकर रेलवे जांच करेगा।