लखनऊ- राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार और कार्यों में लापरवाही बरतने को लेकर मीरजापुर और बांदा जनपदों के चकबंदी अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिए गए हैं। वहीं मैनपुरी जनपद में भी चकबंदी से जुड़े आधा दर्जन अधिकारी और कर्मचारियों पर एक साथ गाज गिरी है। यूपी के चकबंदी आयुक्त जीएस नवीन ने बांदा और मीरजापुर के दोनों चंकबंदी अधिकारियों को निलंबित करते हुए इनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। मैनपुरी के अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच और कारण बताओ नोटिस जारी की गई है।
विभाग द्वारा मिली जानकारी के अनुसार बांदा में वित्त वर्ष 2023-24 में धारा-27 व 52 के अंतर्गत लक्षित ग्राम उमरेंहडा का कार्य पूर्ण न करने, ग्राम बहिंगा में सहायक चकबंदी अधिकारी स्तर पर सृजित चकों की त्रुटियों का निराकरण कर कार्य को आगे बढ़ाने के बजाय ग्राम को सहायक चकबंदी अधिकारी स्तर पर प्रत्यावर्तित करने, सीसीएमएस पोर्टल के जरिए न्यायालय न चलाने तथा ग्राम उमरेंहडा के गाटा संख्या-1331 का रकबा बन्दोबस्त से अधिक बढ़ाने आदि अनियमितताओं के लिए चकबंदी अधिकारी राणा प्रताप को निलम्बित करते हुए उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।
इसी प्रकार मीरजापुर में ग्राम नवैया की चक संख्या-950 आदि से मृतक शेषनरायन सिंह की वरासत मनमाने तौर पर बिना जांच चार बार पृथक-पृथक आदेश पारित कर पद का दुरुप्रयोग किये जाने एवं वाद संख्या-174, धारा-12 में बिना दस्तावेज का सम्यक् परीक्षण और जांच के नामांतरण आदेश दिनांक पारित करने के लिए चकबंदी अधिकारी राजेन्द्र राम को निलंबित कर विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। मैनपुरी में चकबंदी अधिकारी मोहम्मद साजिद, चकबंदी कर्ता काली चरण और रविकांत, चकबंदी लेखपाल अमित कुमार और अजय कुमार के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की गई है।
इसके अलावा मैनपुरी के ही उप संचालक चकबंदी/एडीएम एफआर रामजी मिश्र को कारण बताओ नोटिस जारी की गई है। इन सभी के पर कार्य में लापरवाही बरतने के आरोप हैं।
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