लखनऊ: अंतिम चरण के मतदान से पहले अखिलेश यादव को पूर्वांचल में एक और झटका लगा है। यहां बलिया से सपा के कद्दावर नेता रहे नारद राय बागी हो गए हैं। अब यह लगभग तय माना जा रहा है कि वह भाजपा की सदस्यता ग्रहण करेंगे। इसी बीच उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की है। सूत्रों के अनुसार, नारद राय 29 मई को अमित शाह के साथ बलिया में मंच साझा करते हुए बीजेपी की सदस्यता ले सकते हैं।
भूमिहार समाज पर मजबूत पकड़
नारद राय के बागी होने से पूर्वांचल में सपा को बड़ा झटका लगा है। नारद राय भूमिहार समाज से आते हैं और पूर्वांचल में भूमिहार समाज के मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। जिन पर नारद राय का अच्छा प्रभाव माना जाता है। जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा। कहा जा रहा है कि नारद राय और अखिलेश यादव के बीच पहले से ही कुछ मनमुटाव था, लेकिन यह मनमुटाव उस समय दूरियों में बदल गया जब अखिलेश यादव ने मंच से नारद राय का नाम नहीं लिया। जिससे खफा होकर नारद राय ने सपा से खुली बगावत कर दी।
नारद राय ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि नेताजी ने कहा था कि अगर अपने लोगों के सम्मान पर आंच आए तो किसी से बगावत कर जाना पर झुकना मत।’ इसी बीच उन्होंने एक और पोस्ट की जिसमें वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भेंट करते हुए दिख रहे हैं। इस दौरान उनके साथ योगी सरकार में मंत्री और सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर भी मौजूद हैं।
क्यों बागी हुए नारद राय?
बलिया के फेफना में रविवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव एक चुनावी जनसभा को संबोधित करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने मंच पर मौजूद सभी नेताओं का नाम लिया। लेकिन, नारद राय का नाम लेना भूल गए। जिससे नारद राय नाराज हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ नेताओं की साजिश के चलते उनका नाम सूची से हटा दिया। इसके बाद उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि जो लोग अपने बूथ को नहीं जीता पाए, नए नेता बने लोग राष्ट्रीय अध्यक्ष (अखिलेश यादव) को ज्ञान दे रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि हम राजनारायण के वंशज हैं, अपमान न सहा है और न सहेंगे।
समर्थकों साथ की बैठक
सपा से बागी होने के बाद नारद राय ने समर्थकों साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरा सपा की मंच पर अपनाम हुआ। इसके चलते हम सपा छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मेरा नाम तक नहीं लिया, मैं इस अपनाम को भूलना चाहता था, लेकिन जनता ने मुझे कोसा। उन्होंने कहा कि मैंने बलिया में कई विकास कार्य करवाए। क्या उन कार्यों को अखिलेश यादव मंच से नहीं बता सकते थे। उन्होंने कहा कि मेरा पहले भी सपा में अपमान हुआ। अखिलेश यादव ने मुझे विधान सभा चुनाव में टिकट दिया। लेकिन, उसके साथ मुझे हारने का इंतजाम भी करवा दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा के जिला संगठन ने चुनाव में मेरी कोई मदद नहीं की।
मुलायम सिंह के करीबी रहे हैं नारद राय
नारद राय को सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी थे। इसी के चलते वह विधायक और फिर सपा सरकार में मंत्री बने। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राजनारायण और जनेश्वर मिश्र जैसे दिग्गज नेताओं के साथ की। करीब 40 सालों तक समाजवादी रहे नारद राय ने अब सपा ने अपना नाता तोड़ लिया है।