वाराणसी: पीएम नरेंद्र मोदी तीसरी बार वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। यहां पर सातवें चरण में यानी 1 जून को मतदान होना है। पीएम के खिलाफ अबकी बार भी विपक्षी गठबंधन के प्रत्याशी अजय राय चुनाव लड़ रहे हैं। इसके पहले भी कांग्रेस नेता अजय राय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दो बार चुनाव लड़ चुके हैं। अब तीसरी बार वह पीएम मोदी के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। लेकिन, हर बार काशी के जनता ने उन्हें तीसरे स्थान पर पहुंचाया है।
विपक्षी गठबंधन के प्रत्याशी अजय राय को जिताने के लिए कांग्रेस व सपा नेताओं ने वाराणसी में डेरा डाल रखा है। अबकी बार पीएम मोदी के हराने का दावा करने वाले अजय राय को मुस्लिम लीग समेत कई मुस्लिम संगठनों ने समर्थन दिया है। जिसक चलते वह गदगद हैं। साथ ही वह अपनी जीत का दावा ठोक रहे हैं।
पहली बार पीएम मोदी के खिलाफ 2014 में लड़ा चुनाव
अजय राय ने पहली बार 2014 में पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा। तक उन्हें मात्र 75,614 वोट ही प्राप्त हुए थे। तब पीएम मोदी ने अपने निकटतम् प्रतिद्वंद्वी अरविंद केजरीवाल को 3,71,784 के बड़े अंतर से हराया था। 2014 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 5,081,22 वोट मिले थे। इस मुकाबले में कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय तीसरे स्थान पर रहे थे।
2019 के लोकसभा चुनाव में अजय राय एक बार फिर से कांग्रेस के प्रत्याशी बनकर चुनावी मैदान में थे। पीएम मोदी का मुकाबला कर रहे कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को इस बार मात्र 14.38 प्रतिशत मत ही मिले। अजय राय एक बार फिर से तीसरे स्थान पर ही थे।
चुनाव जीतने वाले भाजपा प्रत्याशी पीएम मोदी को 2019 के चुनाव में 6,74,664 वोट मिले। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सपा प्रत्याशी शालिनी यादव को 4,79,505 वोटों से चुनाव हराया था। इस चुनाव में पीएम मोदी ने 63.62 प्रतिशत वोट मिले।
इस बार फिर से अजय राय विपक्षी गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में हैं, कांग्रेस के साथ ही अजय राय को सपा का भी साथ मिला हुआ है।अजय राय ने दावा किया है कि अबकी बार वाराणसी की जनता उनके साथ खड़ी रही है। अजय राय का कहना है कि इस बार लोकसभा चुनाव का समीकरण बदला हुआ है, ऐसे में एनडीए प्रत्याशी को वह कड़ी टक्कर देकर हराएंगे।
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पीएम मोदी के जीत का प्रतिशत बढ़ा
2014 में पीएम मोदी को जनता का भरपूर साथ मिला। उस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 54.48 प्रतिशत मत मिले। जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में यह आंकड़ा बढ़ कर 63.62 प्रतिशत पर पहुंच गया।