Chamoli News- उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं। भगवान विष्णु के बदरीनाथ धाम में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की बात करें, तो प्रतिदिन 10 हजार से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं, कि आप भगवान विष्णु के पावन बदरीनाथ धाम के आस-पास ही ऐसे कई और पौराणिक मंदिर हैं, जहां आप भगवान विष्णु के दर्शन कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं।
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चमोली जिले में स्थित हैं पंचबद्री धाम मंदिर
बताते चलें कि चमोली जिले में पंचबद्री धाम मंदिर स्थित है। तीर्थयात्री बदरीनाथ के साथ चमोली में ही भगवान विष्णु के अन्य चार धामों के दर्शन भी कर सकते हैं। इन पंचबद्री धामों में से प्रत्येक धाम का विशेष महत्व है। आइए बताते हैं इन मंदिरों की विशेषताएं…
बदरीनाथ धाम- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने इस स्थान पर तपस्या की थी। आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर की स्थापना की थी।
आदिबद्री मंदिर- आदिबद्री को पंचबद्री में सबसे पुराना स्थान माना जाता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की काले पत्थर से बनी प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। ये मूर्ति ध्यान अवस्था में है। मूर्ति के चारों ओर हाथी हैं, जो शक्ति और स्थिरता का प्रतीक माने जाते हैं। आदिबद्री मंदिर के लिए कर्ण-प्रयाग से गैरसैंण सड़क मार्ग पर वाहन से करीब 23 किमी दूरी तय कर पहुंचा जाता है।
वृद्ध बद्री मंदिर- भगवान विष्णु का ये मंदिर चमोली में स्थित है। इस प्राचीन मंदिर का वर्णन अनेकों हिंदू धर्म-ग्रंथों में मिलता है। काले पत्थर की मूर्ति के रुप में स्थापित भगवान विष्णु के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह मंदिर बद्रीनाथ यात्रा मार्ग पर अणीमठ में स्थित है।
योग-ध्यान बद्री मंदिर- चमोली में स्थित इस योग-ध्यान बद्री मंदिर को भगवान बदरीनाथ का शीतकालीन निवास स्थान माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि शीतकाल के दौरान जब मुख्य बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं, तो वे यहां आकर विश्राम करते हैं। मंदिर बदरीनाथ यात्रा मार्ग पर पांडुकेश्वर में स्थित है। इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण और महाभारत में मिलता है।
भविष्य बद्री मंदिर- चमोली जिले के जोशीमठ से करीब 8 किलोमीटर दूरी पर स्थित इस भविष्य बद्री का अर्थ है, भविष्य का बदरीनाथ। मान्यता के अनुसार कलयुग के अंत में जब मुख्य बदरीनाथ मंदिर जाने के रास्ते बंद हो जाएंगे, तो भक्त यहीं पर दर्शन कर बदरीनाथ के दर्शन का फल प्राप्त कर सकेंगे। बताते चलें कि यहां भी भगवान विष्णु मूर्ति काले पत्थर की है। भविष्य बद्री के लिए जोशीमठ से करीब 8 किलोमीटर सड़क मार्ग से पहुंचा जाता है।