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उत्तराखंड- चारों धाम के साथ करने होते हैं इन पौराणिक मंदिरों के दर्शन, वर्ना अधूरी मानी जाती है यात्रा

live up bureau by live up bureau
May 18, 2024, 01:28 pm IST
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Dehradoon News- प्रसिद्ध चारधाम यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। भारी संख्या में श्रद्धालु यात्रा करने पहुंच रहे हैं। आपको बताते चलें कि गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम में दर्शन करने के अलावा आस‑पास ऐसे कई और स्थान भी हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि यदि श्रद्धालुओं ने इन स्थानों के दर्शन नहीं किए तो यात्रा अधूरी मानी जाती है। आइए जानते हैं इन स्थानों के बारे में…

यह भी पढ़ें- Agra- यूपी बोर्ड की अंक-तालिका में अंक न मिलने से 128 बच्चों का खतरे में भविष्य, आगे की पढ़ाई को University में No ENTRY

यात्रा की शुरुआत से पूर्व पौराणिक सत्यनारायण मंदिर

चारधाम यात्रा करने आए श्रद्धालु यात्रा की शुरुआत हरिद्वार से करते हैं, हालांकि अब सरकार ने यात्रियों की व्यवस्था को देखते हुए ऋषिकेश से भी यात्रा की शुरुआत कर दी है। आपको बताते चलें कि हरिद्वार और ऋषिकेश के बीच में एक प्रचीन मंदिर है और आगे की यात्रा करने के लिए इस मंदिर के भगवान नारायण की अनुमति लेनी होती है। इस मंदिर के 600 सालों का इतिहास लोगों के पास मौजूद है, लेकिन कहा जाता है कि इस मंदिर की पौराणिकता इससे भी कई वर्षों पूर्व की है। आज भी चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर पर माथा टेक कर अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं। हरिद्वार ऋषिकेश के बीच में स्थित पौराणिक सत्यनारायण मंदिर हरिद्वार से लगभग 17 किलोमीटर दूर मौजूद है।

1532 में हुई थी पौराणिक सत्यनारायण मंदिर की स्थापना

स्कंद पुराण में इस मंदिर के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है। चारधाम यात्रा शुरु करने से पूर्व यात्री यहां पर विश्राम करके भगवान सत्यनारायण का आशीर्वाद लेना नहीं भूलते हैं, इसके साथ ही पौराणिक मान्यता के अनुसार इस मंदिर को बदरीनाथ धाम की प्रथम चट्टी के रूप में माना जाता है। 1532 में बाबा काली कमली वाले ने इसकी स्थापना की थी, इसके दस्तावेज आज भी मंदिर के पास मौजूद हैं। यात्रा के दौरान इस मंदिर में रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। हरिद्वार-ऋषिकेश राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित भगवान सत्यनारायण मंदिर में 600 वर्ष पुरानी मूर्ति स्थापित है।

बदरीनाथ धाम से 3 किलो दूर है बदरी-विशाल की माता का मंदिर

बाबा बदरीनाथ धाम से लगभग 3 किलोमीटर दूरी पर भगवान बदरी-विशाल की माता का मंदिर है। भगवान बदरी-विशाल की माता का मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे बना हुआ है, कहा जाता है कि माता मूर्ति ने भगवान विष्णु की तपस्या करने के बाद यह प्रार्थना की थी, कि भगवान विष्णु उनकी कोख से जन्म लें, तभी भगवान विष्णु ने नर और नारायण के रूप में माता के गर्भ से जन्म लिया था।

भगवान नर-नारायण की माता का मंदिर

इस मंदिर में बहुत कम लोग जाते हैं, लेकिन मंदिर की महत्ता बदरीनाथ धाम की तरह ही मानी जाती है।   हालांकि अष्टमी और चतुर्दशी के दिन इस मंदिर में अत्यधिक भीड़ रहती है। मान्याताओं के अनुसार बदरीनाथ धाम के बाद इस धाम के दर्शन भी करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही घर में सुख-शांति और समृद्धि रहती है। मंदिर समिति के तीर्थ पुरोहित आशुतोष डिमरी कहते हैं, कि मान्यता के अनुसार जो भक्त बदरीनाथ आता है, वह माता के मंदिर और व्यास गुफा में जरुर जाए, क्योंकि दोनों ही स्थान का बड़ा महत्व है।

बदरीनाथ धाम से 13 किलो पहले पड़ता है हनुमान चट्टी 

बदरीनाथ धाम में एक और स्थान ऐसा है, जहां के बारे में यह कहा जाता है कि बदरीनाथ धाम में प्रवेश करने से पहले भगवान हनुमान के मंदिर में माथा जरुर झुकाना पड़ता है। यह मंदिर बदरीनाथ मंदिर से 13 किलोमीटर पहले पड़ता है। इस मंदिर पर श्रद्धालुओं की यात्रा के दौरान काफी लोग दर्शन करने आते हैं। मान्यता के अनुसार महाभारत काल में जब पांडव द्रौपदी के साथ वन में वास कर रहे थे, तब द्रौपदी ने भीम को नदी में बहते हुए ब्रह्म कमल को लाने के लिए कहा, जैसे ही भीम नदी से ब्रह्म कमल को निकालने के लिए आगे बढ़े, वैसे ही एक वानर उनके रास्ते में लेटा हुआ था। इस स्थान पर पांडू पुत्र भीम को भगवान हनुमान दर्शन दिए थे। इस स्थान को हनुमान चट्टी के नाम से जाना जाता है।

बाबा भैरव नाथ का मंदिर

आपको बताते चलें कि भगवान केदारनाथ धाम के पास एक मंदिर ऐसा है, जहां पर दर्शन किए बिना यात्रा अधूरी मानी जाती है। यह स्थान केदारनाथ से कुछ दूरी पर स्थित है, जो भगवान भैरवनाथ का मंदिर है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि भगवान भैरव नाथ ही पूरी केदारनाथ घाटी और केदारनाथ मंदिर के संरक्षक देवता हैं। केदारनाथ धाम में दर्शन करने वाले श्रद्धालु मंदिर से आधा किलो दूर स्थित इस भैरव मंदिर के दर्शन करने के लिए भी पहुंचते हैं।

भगवान शिव ने स्थापित किया था बाबा भैरवनाथ मंदिर

मान्यता के अनुसार भगवान भैरव को यहां पर स्वयं भगवान शिव ने स्थापित किया था। ताकि इस घाटी पर बुरी आत्माओं और नकारात्मक शक्तियों का वास न हो और भगवान भैरव इस पूरे क्षेत्र का ध्यान रखें। धर्माचार्य प्रतीक मिश्रा पुरी कहते हैं कि हमारे शास्त्रों और ग्रंथों में भगवान भैरव की व्याख्या बड़े स्तर पर की गई है और भगवान केदारनाथ में स्थित भैरव का मंदिर अपने आप में अलौकिक और पौराणिक हैं। ऐसे में केदारनाथ यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को भैरव मंदिर के भी दर्शन करने अनिवार्य हैं।

Tags: Baba Kedarnath DhamBadrinath Dham NewsChardham Yatra 2024Uttrakhand News
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