दुनिया के शक्तिशाली देशों में अपनी गिनती करवाने वाले इजरायल देश को बने 76 साल का समय हो गया है, लेकिन आज भी ये मुल्क अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। 14 मई 1948 को तत्कालीन अमेरिकी प्रेसिडेंट हैरी एस ट्रूमैन ने नए राष्ट्र के रूप में इजरायल को मान्यता दी थी। ये एकमात्र यहूदी देश है, जो चारों ओर से मुस्लिम राष्ट्रों से घिरा हुआ है।
ये भी पढ़ें- फिलिस्तीन के राफा में संयुक्त राष्ट्र की गाड़ी पर हमला, UN के साथ काम करने वाले एक भारतीय नागरिक की मौत
दुनिया के जिस हिस्से को आज ज्यादातर देश इजरायल के तौर पर मान्यता देते हैं, वो 1948 से पहले ब्रिटेन के नियंत्रण में था। प्रथम विश्व युद्ध से पहले पश्चिम एशिया के इस हिस्से यानि फिलीस्तीन पर ओटोमन साम्राज्य का राज था। ओटोमन की हार के बाद ब्रिटेन ने फिलिस्तीन पर नियंत्रण कर लिया। यहां अल्पसंख्यक यहूदियों और बहुसंख्यक अरबी आबादी के अलावा कुछ दूसरे जातीय समूह भी यहां पर निवास करते थे।
कैसे बना इजरायल देश ?
विश्व के अलग-अलग हिस्सों में उत्पीड़न का शिकार हो रहे इन यहूदियों को साल 1917 में ब्रिटेन के विदेश सचिव आर्थर बाल्फोर की ओर से एक देश देने की बात कही गई। ब्रिटेन ने फिलिस्तीन के एक हिस्से में यहूदी लोगों के लिए एक देश बनाने का विचार दिया और फिलीस्तीन में इसकी कोशिश शुरू हुई।
1920 से 1940 तक यूरोप और जर्मनी से यहूदी फिलिस्तीन पहुंचे, जिस कारण यहां यहूदियों की संख्या कुछ बढ़ गई। दूसरे विश्व युद्ध के बाद इजरायल की स्थापना पर तेजी से काम शुरू हुआ। 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को यहूदी और अरब देश में बांटने के लिए मतदान कराया और येरुशलम को एक अंतरराष्ट्रीय शहर बना दिया। इसे यहूदी नेताओं ने स्वीकार किया लेकिन अरब देशों ने अस्वीकार कर दिया।
1948 में यहूदी नेताओं ने एक सुरक्षित देश और मातृभूमि होने की बात कहते हुए इजरायल की स्थापना की घोषणा कर दी। इजरायल को अमेरिका का साथ मिला, लेकिन पड़ोसी अरब देश इससे भड़क गए और दूसरे ही दिन पांच मुस्लिम देशों की सेनाओं ने इजरायल पर हमला कर दिया। एक साल तक चली लड़ाई में इजरायल ने अधिकांश क्षेत्र पर अपना नियंत्रण कर लिया।
1967 में एक बार फिर अरब देशों और इजरायल के बीच जंग छिड़ी। इस दौरान इजरायल ने पूर्वी यरुशलम और वेस्ट बैंक, सीरियाई गोलान हाइट्स, गाजा और मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप पर कब्जा किया। इसके बाद इजरायल ने वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम में बस्तियां बनाकर यहूदियों को बसाया।
1980 के दशक में आया ‘हमास’
युद्ध में जीत के बाद इजरायल ने फिलिस्तीन के दो इलाकों वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी पर कब्जा कर लिया था। उस कब्जे के विरोध में फिलिस्तीनियों ने विद्रोह शुरू किया। इसी विद्रोह ने 1980 के दशक में आतंकी संगठन हमास को जन्म दिया। हालांकि इसके गठन का संबंध फिलिस्तीन मुस्लिम ब्रदरहुड से भी जोड़ा जाता है।
हमास के गठन की एक वजह ये भी थी कि फिलिस्तीनियों के विद्रोह से इजरायल और बाकी दुनिया पर कोई फर्क पड़ता नहीं दिख रहा था। फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO),, 1960 के दशक से इजरायल के खिलाफ संघर्ष कर रहा था, लेकिन हर बार फिलिस्तीनियों को निराशा ही हाथ लगी। आखिरकार PLO ने इजरायल को मान्यता दे दी और उसके वजूद को स्वीकार कर लिया। लेकिन इस निराशा और बदली हुई रणनीति की पृष्ठभूमि ने हमास नाम के आतंकी संगठन को जन्म दिया।