पाकिस्तान सीमा पर निगरानी को बढ़ाने के मकसद से हैदराबाद में 18 मई को हर्मीस-900 स्टारलाइनर या ड्रोन भारतीय सेना को सौंपा जाएगा। इससे पहले हर्मीस-900 को जनवरी में भारतीय नौसेना को दिया गया था। इसे दृष्टि-10 ड्रोन के नाम से भी जाना जाता है।
भारतीय सेना इसे बठिंडा स्थित बेस पर तैनात करेगी, ताकि पूरी पश्चिमी सीमा पर नजर रखी जा सके। आर्मी के पास पहले से ही हेरॉन मार्क 1 और मार्क 2 ड्रोन है, लेकिन मेक इन इंडिया के तहत बनाए गए दृष्टि-10 या हर्मीस-900 ड्रोन के लिए सेना ने ऑर्डर दिए हैं।
वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के मुताबिक इसे अडानी डिफेंस द्वारा भारतीय सेना को सौंपा जाएगा। इसका इस्तेमाल आतंकियों को निशाना बनाने के लिए भी किया जाएगा। बता दें कि दृष्टि-10 ड्रोन के नाम से पहचाने जाने वाले हर्मीस-900 की सप्लाई अडानी डिफेंस सिस्टम्स की ओर से भारतीय सेना, नौसेना सहित देश के अन्य सैन्य बलों को की जा रही है।
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अडानी डिफेंस की इजरायली फर्म एल्बिट से डील
अडानी डिफेंस ने ड्रोन की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए इजरायली फर्म एल्बिट के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। कंपनी ने कहा था कि उसने 70 प्रतिशत स्वदेशीकरण कर लिया है और इसे और आगे बढ़ाने के लिए काम करेगी। भारतीय सेना ने इजरायल के कुछ और सैटेलाइट कम्युनिकेशन कर सकने वाले ड्रोन को भी शामिल किया है। इसमें इजरायली एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री के साथ सीधे सौदे में लिए गए कुछ हेरॉन मार्क 2 भी हैं।
इसके अलावा भारतीय नौसेना पाकिस्तान से लगी समुद्री सीमा के साथ-साथ ऊंचे समुद्री क्षेत्रों पर नजर रखने के लिए पोरबंदर में ड्रोन तैनात करने जा रही है, क्योंकि इसमें 30 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरने और एक बार में 2,000 किलोमीटर की दूरी तय करने की क्षमता है।
आखिर क्यों है खास
हर्मीस-900 ड्रोन दो तरह से अपने टारगेट को हिट कर सकता है। पहला ये कि अगर किसी व्हीकल के ड्राइवर को मारना है, तो इसके जरिए केवल उसी को मार गिराया जा सकता है, बाकी पैसेंजर्स को नुकसान नहीं पहुंचेगा। वहीं दूसरा तरीका ये है कि अगर किसी बड़े टारगेट को तबाह करना है, तो 10 मीटर के दायरे में आने वाली ये किसी भी चीज को खत्म कर देगा।