नई दिल्ली: मिस्र के दक्षिणी मिन्या प्रांत में मंगलवार देर रात ईसाइयों के कई घरों में आग लगा दी गई। यह घटना तब हुई जब, मिस्र में ईसाई समुदाय के लोग चर्च बनाने की योजना पर काम कर रहे थे। हिंसा की यह घटना मिस्र के मिन्या प्रांत के अल-फवाखेर गांव की है। यहां ईसाई समाज के लोग अपनी प्रार्थना करने के लिए चर्च का निर्माण करना चाहते थे। तभी मुस्लिम समाज के लोगों ने उनके घरों में आग लगा दी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईसाइयों के ईस्टर समारोह में चर्च बनाने की योजना बनी थी। तभी से मुस्लिम समाज को लोग भड़के हुए थे। लेकिन, मंगलवार को मुस्लिम समाज के लोग सड़कों पर उतर आए। पहले मुस्लिमों की भीड़ ने ईसाईयों को उनके घरों से बाहर निकालने का प्रयास किया। लेकिन, जब वह असफल रहे तो, उनके घरों में ही आग लगा दी। जब ईसाईयों के घरों में आगजनी की गई, उस दौरान बड़ी संख्या में लोग अपने-अपने घरों में ही थे।
🇪🇬✝️ Another video as this islamic mob attack the homes of the innocent Coptic Christians. The Police were clearly standing by and watching
فيديو آخر يظهر هجوم هذا الغوغاء الإسلاميين على منازل الأقباط الأبرياء. كانت الشرطة تراقب بوضوح دون التدخل#ChristiansMENA https://t.co/Zn2sYeXYLO pic.twitter.com/e98WxBCsXt
— Christians MENA (@ChristiansMENA) April 27, 2024
बता दें कि मिस्र में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं। यहां इबादत के अधिकार जो मुस्लिमों को प्राप्त हैं, वह ईसाइयों को नहीं। यही वजह है कि वहां काफी समय से ईसाई समाज मुस्लिमों की तरह ही पूजा के अधिकार देने की मांग कर रहा है। ईसाईयों की मांग है कि उन्हें भी मुस्लिमों की तरह पूजा घर बनाने की स्वतंत्रता दी जाए।
मिस्र की राजधानी काहिरा या अलेक्जेंड्रिया जैसे मुख्य शहरों में ईसाई के साथ भेदभाव कम हैं। लेकिन, जैसे ही आप देश के दक्षिणी भाग की ओर बढेंगे, बैसे ही आप को यहां ईसाई के साथ भेदभाव की घटनाओं में अधिकता दिखेगी। यहां ईसाइयों को शादी और तलाक छोड़कर ज्यादातर मामलों में कानूनी तौर पर इस्लामी कानून शरिया का पालन करने के लिए मजबूर किया जाता है।
मुस्लिम-बहुल मिस्र में ईसाइयों की कोई सटीक जनसंख्या प्रतिशत… कभी भी आधिकारिक तौर पर नहीं जारी किया गया। लेकिन, ऐसा माना जाता है कि मिस्र की 10.90 करोड़ जनसंख्या में से लगभग 10 से 15 प्रतिशत जनसंख्या ईसाइयों की है। दुनिया के सबसे पुराने ईसाई समुदाय कॉप्टिक समाज के अधिकांश लोग मिस्र में ही रहते हैं।