Lucknow News- बीते शुक्रवार को राज्य बाल अधिकार संरक्षण के हस्तक्षेप के बाद अयोध्या में बिहार से सहारनपुर जा रही डबल डेकर निजी बस से 4 से 12 साल की उम्र के 97 बच्चों को बरामद किया था। इन बच्चों को 5 मौलवी उच्च शिक्षा देने के नाम पर बहला-फुसला कर ले जा रहे थे। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी ने इन बच्चों से मुलाकात की तो पता चला कि ये बच्चे बिहार के अररिया और पूर्णिया के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों का कहना है कि हमें मदरसे में नही पढ़ना है, मदरसों में हमें जानवरों की तरह रखा जाता है। बच्चे काफी डरे और सहमे हुए हैं। फिलहाल इन बच्चों को लखनऊ स्थित बाल संरक्षण गृह में रखा गया है।
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इस मामले में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ शुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि बच्चों को सहारनपुर के दो मदरसों में ले जाया जा रहा था। जिसमें देवबंद के मदारुल उलूम रफीकिया और दारे अरकम मदरसा शामिल है। उन्होंने बताया कि दोनों मदरसे रजिस्टर्ड नहीं हैं। इन मदरसों के संचालक बच्चों को अनाथ बताकर फंडिंग लेते थे। ये अधिकांश बिहार के बच्चों को उनके घरवालों से तालीम देने के नाम पर लाते थे और फिर उन्हें छोटे से मदरसे में जानवरों की तरह रखते थे।
डॉ शुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि बच्चों ने रो-रो कर अपना दर्द बयां किया। बच्चों का कहना है कि उनके माता-पिता से तालीम दिलाने के नाम पर उनको सहारनपुर मदलसा ले जाया जा रहा था। घरवालों से मौलवियों ने लिखवाया कि बच्चों की मौत होने पर उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी। इसके अलावा बीमार होने पर दवा तब तक ही कराई जाती रहेगी, जब तक घरवाले पैसे भेजते थे। उनका कहना है कि इन बच्चों में कई भाई-बहन हैं और वे सभी सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करते थे। इस बीच मदारुल उलूम रफीकिया और दारे अरकम मरदसों के मौलवी उनके गांव पहुंचे और घरवालों को झांसे में लेकर साथ ले आए।