वैसे तो अफ्रीकी देश बुर्किना फासो में आतंकी घटनाएं आम बात हैं, क्योंकि यहां पर आईएसआईएस और अलकायदा जैसे आतंकी संगठन काफी सक्रिय हैं। लेकिन इस बार मामला यहां के सैन्य बल को लेकर है, जिसपर पर जनसंहार का आरोप लगा है। जानकारी के अनुसार गरीब अफ्रीकी देश बुर्किना फासो में हुए इस जनसंहार में 223 लोगों की जान चली गई। इनमें 56 बच्चे भी शामिल बताए जा रहे हैं।
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दरअसल बुर्किना फासो के सैन्य बल पर आरोप है कि उसने चरमपंथियों का सहयोग करने के मामले में दो गांवों पर हमला कर दिया था, जिसके परिणामस्वरूप वहां इतनी भारी संख्या में लोगों ने अपनी जान गंवा दी। ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट के अनुसार, ये हमला 25 को अफ्रीका के उत्तरी क्षेत्र में स्थित नोंदिन और सोरो गांवों में किया गया। वहीं मानवाधिकार संगठन ने मामले में UN और अफ्रीकी संघ से जांचकर्ता उपलब्ध कराने की मांग की है।
बुर्किना फासो में काफी सक्रिय हैं आतंकवादी
बताया जाता है कि आतंकी संगठन अल-कायदा और आईएसआईएस लगातार बुर्किना फासो में सैन्य बलों को निशाना बनाते रहे हैं। बुर्किना फासो में अक्सर हिंसक घटनाएं होती रहती हैं, यहां पर अलकायदा और इस्लामिक स्टेट दोनों ही आतंकी संगठन सक्रिय हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बुर्किना फासो के आधे से ज्यादा हिस्से पर इन कट्टरपंथियों का कब्जा है। करीब 2 करोड़ लोग इस क्षेत्र में रहते हैं। ये क्षेत्र अफ्रीका के सबसे बड़े रेगिस्तान सहारा के ठीक दक्षिण में स्थित है, जो खुद एक अर्ध-रेगिस्तानी क्षेत्र है।
बुर्किना फासो का ये दुर्भाग्य रहा है, कि यहां कभी भी राजनीतिक स्थिरता नहीं रही। यहां कई बार तख्तापलट हुआ। लेकिन, असली संकट 2015 के बाद से शुरू हुआ, जब माली के रास्ते आईएसआईएस बुर्किना फासो में आ धमका।
आतंकी संगठनों ने क्यों चुना अफ्रीका को ?
दरअसल अफ्रीका,, आतंकी संगठनों के लिए सॉफ्ट टारगेट था, क्योंकि ये एक गरीब देश है, और राजनैतिक तौर पर अस्थिर भी है। यहां के युवा जल्दी ही लोगों के बहकावे में आ जाते हैं, यानी उनकी सोच बदलकर चरमपंथ के रास्ते पर लाना कोई मुश्किल काम नहीं था। यही कारण है कि आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के मकसद से इन संगठनों ने यहां अपना डेरा जमाया।