बेंगलुरु: कर्नाटक सरकार ने कक्षा 1 से 10 तक के पाठ्यक्रम में हुए बदलाव को अंतिम रूप दे दिया है। कांग्रेस सरकार ने पाठ्यक्रम में कई बदलाव किए हैं। सरकार ने पी. लंकेश, देवनूर महादेव, सावित्रीबाई फुले, गिरीश कर्नाड, पेरियार जैसे लेखकों की रचनाओं को फिर से पाठ्यक्रम में शामिल किया है। बता दें कि भाजपा सरकार के समय रोहित चक्रतीर्थ के नेतृत्व में बनी कमेटी ने इन लेखकों से जुड़े चैप्टरों को हटा दिया था।
सरकार का कहना है कि संशोधित पाठ्यपुस्तकों में अब संवैधानिक सिद्धांतों, मौलिक कर्तव्यों, मौलिक अधिकारों और लोकतंत्र पर जोर दिया गया है। नए पाठ्यक्रम में जैन धर्म और बौद्ध धर्म का परिचय देने वाले नए अध्याय शामिल किए गए हैं। वहीं, ‘धर्म’ शब्द को ‘रिलीजन’ में बदल दिया गया है। साथ ही जम्मू, कश्मीर और पूर्वोत्तर के राजवंशों पर आधारित पाठों को हटा दिया गया है। इसके स्थान पर कुछ नए अध्याय जोड़े गए हैं।
भाजपा विधायक और पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री अश्वथ नारायण ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार उन लोगों को लाने की कोशिश कर रही है जो सनातन धर्म के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि “ सरकार ने जिन लेखकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया है वे लेखख उस सनातन धर्म का सम्मान नहीं करते हैं, जिसमें हम लोग विश्वास करते हैं।
उन्होंने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जानबूझ कर ऐसे लेखकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है जो सनातन धर्म के खिलाफ हैं। पूर्व मंत्री अश्वथ नारायण ने कहा कि हम इस पाठ्यक्रम की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस सरकार को बेनकाब करेंगे और लोगों के बीच जागरूकता पैदा करेंगे। अश्वथ नारायण ने कहा हम पाठ्यक्रम का पुरजोर विरोध करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि इसका पाठ्यपुस्तकों में समावेशन न हो।