जम्मू कश्मीर: सनातन संस्कृति में पर्वतों, नदियों और वृक्षों का विशेष महत्व है। इसीलिए सनातन धर्म को प्रकृति पूजा का संदेशवाहक कहा जाता है। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जम्मू-कश्मीर दौरे के क्रम में कुछ ऐसा ही देखने को मिला। पीएम मोदी धारा 370 खत्म होने बाद, पहली बार जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर पहुंचे थे। यहां उन्होंने कई परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। लेकिन, सबसे अधिक ध्यान प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एक्स पर की गई एक पोस्ट ने खींचा। पोस्ट में पीएम मोदी एक पर्वत को दूर से प्रणाम करते हुए दिख रहे हैं।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस पर्वत को प्रणाम कर रहे हैं, उस पर्वत का महत्व हजारों साल पुराना है। कहा जाता 8वीं शताब्दी के दौरान आदि शंकराचार्य ने इस पहाड़ी पर घोर तपस्या कर ज्ञान की प्राप्ति की थी। इस पहाड़ी पर रहने के दौरान उन्होंने एक शिव मंदिर की भी स्थापना की। जिसे शंकराचार्य मंदिर के नाम से जाना जाता है। शंकराचार्य मंदिर जम्मू-कश्मीर के प्रचीनतम मंदिरों में से एक है। यह मंदिर शहर से लगभग 1100 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
शंकराचार्य मंदिर का महत्व
शंकराचार्य मंदिर को ज्येष्ठेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर पर पहुंचने के लिए आप को 243 सीढ़ियां पर होकर गुजरना पड़ेगा। मंदिर का आधार अष्टकोणीय है। जो देखने में अत्यधिक सुंदर लगता है। कहा जाता है आदि शंकराचार्य को यहीं से देश के चारों कोनो में मठों की स्थापना करने की प्रेरणा मिली थी। मंदिर से आप को कश्मीर घाटी का आलौकिक दृश्य देखने को मिलेगा।
मंदिर तक कैसे पहुंचें
मंदिर तक पहुंचने लिए आपको सबसे पहले श्रीनगर पहुंचना होगा। यहां से आप बस या टैक्सी किसी भी सुविधाजनक साधन से मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार तक पहुंच सकते हैं। प्रवेश द्वार पर पहुंचने के बाद आप को सीढियों पर चढ़ कर मंदिर तक पहुंचना होगा। मंदिर में दर्शन पूजन करने वाले श्रद्धालुओं को वहां शाम 5 बजे से पहले पहुंचना की सलाह दी जाती है। क्योंकि, उसके बाद सुरक्षा कारणों से सेना द्वारा वहां 4 पहिया वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।