ताइवान में आए भूकंप के एक दिन बाद यानि गुरुवार को जापान की धरती भी भूकंप के झटकों से हिल गई। यहां होंशू के पूर्वी तट पर 6.3 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया।
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जानकारी के अनुसार राजधानी टोक्यों में भूकंप के तेज झटके महसूस हुए। भूकंप का केंद्र 32 किमी की गहराई पर था। बता दें कि तकनीक के क्षेत्र में जापान दुनिया के प्रमुख देशों में से है। यहां इमारतों को बनाने के लिए कुछ सख्त नियम हैं, जिसको भूकंप से बचाव को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। लगभग 125 मिलियन लोगों का घर, द्वीपसमूह, हर साल लगभग 1,500 बार भूकंप के झटके का अनुभव करता है, जिनमें से ज्यादातर हल्के झटके होते हैं।
बुधवार को ताइवान में आया था भूकंप
इससे एक दिन पहले यानि बुधवार को ताइवान में आए 7.5 तीव्रता के भूकंप के झटके से करीब 9 लोगों की मौत हो गई थी और 1,000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक भूकंप आने के बाद वहां करीब 50 से ज्यादा झटके (आफ्टरशॉक) महसूस किए गए। भूकंप से ताइवान में दर्जनों इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं। इन झटकों का असर जापान और फिलीपींस तक भी पहुंचा था। यहां सुनामी की चेतावनी भी जारी कर दी गई थी।
2011 में जापान में आया था सबसे बड़ा भूकंप
साल 2011 में जापान में अबतक का सबसे बड़ा भूकंप आया था। यहां के उत्तर-पूर्वी तट पर समुद्र के अंदर 9.0 तीव्रता का एक बड़ा झटका महसूस हुआ था, जिसके कारण सुनामी आई थी और करीब 18 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इस भूकंप की वजह से फुकुशिमा न्यूक्लियर पावर प्लांट में रिसाव शुरू हो गया था। इसका असर आज भी महसूस किया जाता है। वहीं,, अब तक के इतिहास में सबसे ज्यादा देर तक बने रहने वाला भूकंप 2004 में हिंद महासागर में आया था। जो 10 मिनट तक रहा था।
जापान में क्यों आते हैं सबसे ज्यादा भूकंप ?
जापान भूकंप के लिहाज से काफी सेंसिटिव जोन में आता है। जापान दो टेक्टोनिक प्लेटों के जंक्शन के पास स्थित है। जहां भूकंप के झटके महसूस किए गए, वो ओकिनावा प्रांत,,,महासागर के चारों ओर भूकंपीय फॉल्ट लाइनों की एक घोड़े की नाल के आकार की श्रृंखला- रिंग ऑफ फायर के करीब स्थित है। रिंग ऑफ फायर एक ऐसा इलाका होता है जहां कॉन्टिनेंटल प्लेट्स के साथ ओशियेनिक टेक्टॉनिक प्लेट्स भी मौजूद रहती हैं। ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं तो भूकंप की स्थिति पैदा होती है। इनके असर से सुनामी आती है और वोल्केनो भी फटते हैं। करीब 90% भूकंप इसी रिंग ऑफ फायर में आते हैं। यह क्षेत्र 40 हजार किलोमीटर में फैला है। विश्व में जितने भी सक्रिय ज्वालामुखी हैं, वो इन्हीं 75% क्षेत्र में आते हैं। बता दें कि विश्व के 15 देश जापान, रूस, फिलीपींस, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, अंटार्कटिका, कनाडा, अमेरिका, मैक्सिको, ग्वाटेमाला, कोस्टा रिका, पेरू, इक्वाडोर, चिली और बोलिविया इसी रिंग ऑफ फायर एरिया में आते हैं।