मेरठ: एक तरफ बीजेपी जहां यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों को जीतने के लिए हुंकार भर रही है। वहीं, दूसरी ओर सपा अपने प्रत्याशियों की अदला-बदली में बिजी है। जिससे सपा कार्यकर्ता भ्रमित हैं कि आखिर उनकी पार्टी का प्रत्याशी कौन होगा? चुनाव सिर पर और कार्यकर्ताओं में असमंज की स्थिति बनी हुई है। आखिर कब किस प्रत्याशी का टिकट बदल जाए कोई भरोसा नहीं। इसको लेकर कार्यकर्ताओं में नाराजगी है।
प्रत्याशियों की अदला-बदली का सबसे अधिक असर मेरठ और बदायूं में देखा जा रहा है। मेरठ में सपा ने तीन बार प्रत्याशी बदले हैं। वहीं, बदायू से दो बार प्रत्याशी बदले जा चुके हैं, और तीसरी बार उम्मीदवार बदले जाने की चर्चाएं तेज हैं।
तो आइए सबसे पहले बात करते हैं मेरठ लोकसभा सीट की। जहां से आखिरकार सपा की ओर से सुनीता वर्मा ने लोकसभा चुनाव का नामांकन कर दिया है। लेकिन, इसके पहले यहां से दो प्रत्याशियों को बदला जा चुका है। सपा ने पहले यहां से सुप्रीम कोर्ट के वकील भानुप्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा था। लेकिन, कहा जा रहा है वह चुनावी माहौल नहीं बना पाए, जिसके बाद सपा ने उनका टिकट काट दिया।
भानुप्रताप का टिकट काटने के बाद सपा ने विधायक अतुल प्रधान को यहां से मैदान में उतारा। इधर अतुल प्रधान को टिकट मिला उधर उनके खिलाफ पार्टी के नेता ही बागी हो गए। जिसके बाद आलाकमान ने अतुल प्रधान का टिकट काट कर सुनीत वर्मा को मेरठ से लोकसभा प्रत्याशी बनाया। मेरठ से प्रत्याशी बनाए जाने क बाद सुनीता वर्मा ने नामांकन तो कर दिया है। लेकिन, बताया जा रहा है कि उनसे सपा जिला अध्यक्ष नाराज हैं, क्योंकि नामांकन के दौरान उनकी अनदेखी की गई।
मेरठ के अलावा चर्चाओं में बदायूं लोकसभा सीट भी है। वर्तमान में सपा ने यहां से वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह को प्रत्याशी बनाया है। लेकिन, शिवपाल से पहले यहां अखिलेश यादव ने धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया था। फिर धर्मेंद्र यादव का टिकट काट दिया गया और चाचा शिवपाल चुनावी मैदान में उतरे। सूत्रों का कहना है कि शिवपाल सिंह बदायूं से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते! इसलिए उन्होंने अपने पुत्र आदित्य यादव को यहां से चुनाव लड़ाने के लिए अखिलेश यादव से कहा है। हालांकि, अभी सपा ने अभी अधिकारिक रूप से ऐसी कोई घोषणा नहीं की है कि यहां से आदित्य यादव चुनाव लड़ेंगे।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि देश भर में बदलते चुनावी समीकरण को देखते हुए बदायूं लोकसभा सीट सपा के लिए आसान नहीं होगी। सूत्रों का कहना है कि यह बात अखिलेश यादव भी अच्छी तरीके से जानते हैं। इसीलिए उन्होंने चाचा शिवपाल को बदायूं से चुनावी मैदान में उतारा है। सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव ने बदायूं से शिवपाल सिंह को प्रत्याशी बना कर एक तीर से दो निशाने साधे हैं। अगर चाचा शिवपाल सिंह यह सीट जीतते हैं तो इससे सपा पश्चिम यूपी में मजबूत होगी।
वहीं, यदि शिवपाल सिंह को यहां से सफलता नहीं मिली तो उनकी छवि जो बड़े नेता के रूप में है, वह कहीं न कहीं धूमिल होगी। जिसके बाद अखिलेश यादव सपा के सर्व मान्य नेता बन जाएंगे। हालांकि, शिवपाल सिंह भी पुराने खिलाड़ी हैं, इसीलिए वह बदायूं से खुद चुनाव ना लड़ कर अपने पुत्र आदित्य यादव को चुनावी मैदान में उतारना चाहते हैं।