चैत्र नवरात्रि 2024: 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू हो रही है। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत होती है। नवरात्रि के नौ दिन मां जगदंबा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है। ये नौ दिन माता को समर्पित माने गए हैं।
चैत्र नवरात्रि को वसंत नवरात्रि भी कहा जाता है। 9 अप्रैल 2024 को घटस्थापना के साथ चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी और 17 अप्रैल को राम नवमी पर नवरात्रि का समापन होगा। ये नौ दिन बेहद शुभ माने जाते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व है। इसमें भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से माता की आराधना करते हैं। नवरात्रि को ध्यान में रखते हुए हम आपको लखनऊ के उन प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका अपना खासा महत्व है।
चंद्रिका देवी मंदिर- बक्शी का तालाब इलाके में स्थित चंद्रिका देवी मंदिर शक्तिपीठ होने के साथ-साथ सिद्धपीठ भी है। चंद्रिका देवी को लखनऊ की कुलदेवी भी माना जाता है। ये मंदिर चौक चौराहे के बेहद करीब है। यहां पर भगवान लक्ष्मी-नारायण की प्रतिमा स्थित है लेकिन उन्हें काली के रूप में पूजा जाता है। ये मंदिर काफी प्राचीन है। नवरात्रि में यहां पर मेला लगता है, जो कि लखनऊ का सबसे बड़ा मेला होता है। नवरात्रि में यहां दर्शन करने के लिए लखनऊ के अलावा प्रदेश के अन्य जिलों से भी लोग दर्शन के लिए आते हैं।
संदोहन माता का मंदिर – ये मंदिर चौपटिया चौराहे के पास स्थित है। इस मंदिर को लगभग 500 साल पुराना शक्तिपीठ और सिद्धपीठ माना जाता है। यहां पर शादी के बाद नए जोड़े अक्सर पूजा-पाठ करते हुए दिखाई पड़ते हैं। यहां पर बच्चों के मुंडन संस्कार भी होते हैं। नवरात्रि में इस मंदिर का विशेष महत्व है।
बंदी माता का मंदिर – बंदी माता का मंदिर कटरा में स्थित है। यह मंदिर लगभग 200 साल से भी ज्यादा पुराना बताया जाता है। नवरात्रि में माता के दर्शन के लिए यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और साड़ी समेत श्रृंगार का सामान अर्पित करते हैं।
शीतला माता का मंदिर – शीतला माता के मंदिर को रामायण काल का बताया जाता है। इस मंदिर की स्थापना माता सीता के पुत्र लव द्वारा की गई थी। नवरात्रि में इस मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों की भीड़ सबसे ज्यादा होती है। नवरात्रि के दिनों में यहां मेला भी लगता है।
संकटा देवी मंदिर – चौपटियां के पास रानी कटरा में स्थित संकटा देवी माता का मंदिर लखनऊ में सबसे अनूठा है। यह कश्मीर में विराजमान माता खीर भवानी की प्रतिमा का स्वरूप है, जो कई कश्मीरियों की कुलदेवी भी हैं। कहा जाता है कि नवरात्रि में इनके दर्शन करने से सभी संकट दूर हो जाते हैं।
श्री ज्वाला देवी मंदिर – श्री ज्वाला देवी मंदिर लखनऊ के आशियाना में स्थित है। यहां 2004 से एक अखंड ज्योत जल रही है। इस ज्योत को हिमाचल के ज्वाला देवी शक्तिपीठ से लाया गया था।
भुईयन देवी मंदिर – यह मंदिर लखनऊ के गणेशगंज में स्थित है। इसके बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में जब-जब पर्दा लगाया गया,, तब-तब पर्दे में या तो आग लग गई या पर्दा अपने आप ही गिर गया। जिसके बाद से यहां माता के सामने कभी कोई पर्दा नहीं लगाया गया। इस मंदिर में देवी का मुख पूर्व दिशा की ओर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि भुईयन देवी माता के ठीक दाहिने हाथ पर बगल में संकटा माता भी मौजूद हैं। नवरात्रि में इनकी पूजा और कीर्तन के लिए पूरे प्रदेश से लोग आते हैं।