देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को केंद्र की ओर से Z श्रेणी की सुरक्षा दी गई है। इंटेलिजेंस ब्यूरो की थ्रेट परसेप्शन रिपोर्ट के बाद गृह मंत्रालय ने उनकी सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए। दरअसल लोकसभा चुनाव के चलते संभावित खतरों को देखते हुए केंद्र सरकार ने ये फैसला किया है।
बता दें कि कई राजनीतिक पार्टियां इस समय हंगामा कर रही हैं। इसे देखते हुए IB की थ्रेट परसेप्शन रिपोर्ट आई थी, जिसके आधार पर मुख्य चुनाव आयुक्त को Z श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है। सुरक्षागार्ड हर वक्त CEC की सुरक्षा में रहेंगे। राजीव कुमार ने 12 मई 2022 को भारत के 25वें मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पद संभाला था।
क्या होती है Z श्रेणी की सुरक्षा ?
Z श्रेणी में कुल 33 सुरक्षागार्ड तैनात होते हैं। आर्म्ड फोर्सेज के 10 आर्म्ड स्टैटिक गार्ड वीआईपी के घर पर रहते हैं। 6 राउंड द क्लॉक पीएसओ, 12 तीन शिफ्ट में आर्म्ड स्कॉर्ट के कमांडो, 2 वॉचर्स शिफ्ट में और 3 ट्रेंड ड्राइवर राउंड द क्लॉक मौजूद रहते हैं।
1950 में हुआ था भारतीय निर्वाचन आयोग का गठन
मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। CEC की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष और चुनाव आयुक्तों की 62 वर्ष होती है। चुनाव आयुक्त का पद और वेतनमान भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के सामान होता है। भारत के निर्वाचन आयोग के पास विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेदारी होती है।
भारत का निर्वाचन आयोग,, संविधान के अनुच्छेद 324 के प्रावधानों के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और दो अतिरिक्त चुनाव आयुक्तों (ECs) से मिलकर बना होता है। राष्ट्रपति,, CEC और अन्य EC की नियुक्ति,, चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर करते हैं। निर्वाचन आयोग का गठन 1950 में हुआ था। 15 अक्टूबर, 1989 तक आयोग सिर्फ मुख्य निर्वाचन आयुक्त वाला एकल-सदस्यीय निकाय होता था। 16 अक्टूबर, 1989 से 1 जनवरी, 1990 तक ये तीन-सदस्यीय निकाय रहा। 2 जनवरी, 1990 से 30 सितंबर, 1993 तक ये फिर एकल-सदस्यीय निकाय बन गया और एक बार फिर 1 अक्टूबर, 1993 से ये तीन-सदस्यीय निकाय बन गया।