दुनिया में भारत का दबदबा कायम है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खुद को आला हाकिम समझने वाली अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने वहां के हिंदू और सिख समुदाय के अल्पसंख्यकों में भरोसा पैदा करने के लिए एक बड़ा फैसला किया। इसके तहत अब तालिबान हिंदुओं एवं सिखों की जमीनें उन्हें वापस करेगा।
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अफगानिस्तान की सत्ता पर राज करने वाला तालिबान,, भारत के साथ अपने संबंध सुधारने की कोशिश में लगा हुआ है,, क्योंकि भारत ने अभी तक तालिबान सरकार को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर वहां के अल्पसंख्यकों के साथ हमेशा से भेदभाव होता आया है और वे उत्पीड़न का शिकार रहे हैं। यहां पर इनकी स्थिति ठीक नहीं मानी जाती है। पश्चिमी देशों के समर्थन वाली अफगानिस्तान की पिछली सरकारों में इन अल्पसंख्यक हिंदुओं और सिखों की जमीनें छीन ली गईं थीं। लेकिन अब तालिबान के इस कदम को भारत के साथ उसके रिश्ते बेहतर बनाने से जोड़कर देखा जा रहा है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के इस फैसले को भारत की विदेश नीति के लिए एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।
अगस्त 2021 में सत्ता में आया था तालिबान
अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद बड़ी संख्या में हिंदू और सिखों ने भारत में शरण ली थी। अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबान के आने के बाद भारत ने काबुल से भारतीयों को वापस बुला लिया था।
इन देशों में हैं हिंदू अल्पसंख्यक
अफगानिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू और सिख व्यापार करने के लिए 19वीं शताब्दी में अफगानिस्तान गए थे। अफगानिस्तान में सोवियत युद्ध से पूर्व हजारों हिंदू रहते थे। लेकिन अब वहां तालिबान का शासन होने के बाद से केवल गिने-चुने हिन्दू परिवार ही रह गए हैं।अफगानिस्तान में तालिबानी शासन लौटने से वहां के अल्पसंख्यकों पर जुल्म इतने बढ़ गए हैं कि वे वहां से पलायन कर रहे हैं। तालिबान शासन में डर के साये में या तो लोग घरों में बंद हैं, या फिर बहुत ज़रूरी काम पड़ने पर कुछ देर के लिए ही बाहर निकलते हैं।
सेंटर फॉर डेमोक्रेसी प्लूरेलिज्म एंड ह्यूमन राइट्स (सीडीपीएचआर) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत के सात पड़ोसी देशों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। रिपोर्ट के मुताबिक इन देशों में हिंदुओं की स्थिति भी अच्छी नहीं है। इन हिंदू अल्पसंख्यक देशों में पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के अलावा तिब्बत, मलेशिया, श्रीलंका और इंडोनेशिया आते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अफगानिस्तान में हिंदू अब लगभग ना के बराबर रह गए हैं। अफगानिस्तान में साल 1970 में 7 लाख हिंदू और सिख रहते थे। 1992 आते-आते ये संख्या 2 लाख 20 हजार के आसपास हो गई। वहीं पिछले 30 सालों में हिंदू और सिखों पर हमलों या पलायन के बाद आज इनकी संख्या 100-200 के आसपास ही रह गई है। ये संख्या दिनों दिन कम ही होती नजर आ रही है।