पाकिस्तान में हिंदू समेत दूसरे अल्पसंख्यक समुदायों का शोषण तो होता ही है लेकिन मुसलमानों के दूसरे फिरकों की आपसी लड़ाई भी जब तब सामने आती रहती है। ताजा मामले में सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक अहमदी समुदाय की मस्जिद में तोड़ फोड़ की गई। अहमदी समुदाय के प्रवक्ता ने बताया कि कुछ लोगों ने मस्जिद की मीनारें तोड़ दीं और दीवारों पर घृणा प्रदर्शित करती हुई तस्वीरें बनाईं। उन्होंने बताया कि घटना सोमवार को कराची के एक घनी आबादी वाले इलाके में हुई। कई लोग जबरन मस्जिद में घुसे और हथौड़ों से मीनारें तोड़ने लगे। अहमदी समुदाय के प्रवक्ता ने बताया कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, दो महीने पहले भी 2 आस्था केंद्रों पर हमला किया गया था और सरकार उन्हें सुरक्षा देने में पूरी तरह असफल रही है।
अहमदियों को नहीं मानते मुसलमान: प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने अहमदियों को काफिर बताने वाले आंध्रप्रदेश वक़्फ़ बोर्ड का समर्थन किया है। आंध्रप्रदेश वक़्फ़ बोर्ड ने कुछ समय पहले एक प्रस्ताव पारित कर अहमदियों को काफिर करार दिया था और गैर मुस्लिम बताया था।
मुस्लिम उलेमा दूसरे धर्मों में भेदभाव पर करते हैं टिप्पणी: अक्सर मुस्लिम धर्म गुरु या इस्लाम के अनुयायी हिंदू समेत दूसरे धर्मों में जातिवाद समेत दूसरे मामलों पर टिप्पणी करते हैं। और दावा करते हैं कि इस्लाम धर्म में भेदभाव नहीं है, जबकि दुनिया भर में इनके अलग अलग फिरकों में आपसी लड़ाई देखने में आती रहती है। पाकिस्तान की यह घटना इसी सच्चाई को उजागर करती है।