उत्तर प्रदेश में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वालों पर कार्रवाई तेज हो गई है। देवरिया में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। यहाँ के जिला पंचायत राज अधिकारी सर्वेश कुमार पाण्डेय ने बताया है कि सफाईकर्मी कांति देवी को फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकरी पाने की पुष्टि होने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि कांति देवी द्वारा शासनादेश में उल्लिखत नियम के विरूद्ध फर्जी कागजात जैसे शैक्षिक प्रमाण पत्र, जन्म प्रमाण पत्र लगाकर सफाई कर्मी की नौकरी प्राप्त करने का आपराधिक कृत्य किया गया है, जिसके लिए वह पूर्ण रूप से दोषी हैं।
जिला पंचायती राज अधिकारी ने जानकारी दी है कि अभिलेख के अनुसार कांति देवी को वेतन एवं अन्य मदों में 55 लाख, 35 हजार, 333 रूपये का भुगतान किया गया है। कांति देवी को निर्देशित किया गया है कि उक्त शासकीय धनराशि जिला कोषागार, देवरिया के सम्बन्धित हेड में पत्र प्राप्ति के एक वर्ष के अन्दर जमा कराते हुए जमा रसीद जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय में प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें। अन्यथा की स्थिति में उनसे उक्त धनराशि की वसूली भू-राजस्व की भांति कराने की कार्यवाही प्रख्यापित कर दी जाएगी, जिसका सम्पूर्ण उत्तदायित्व कान्ती देवी का होगी।
इस संबंध में उच्च अधिकारी ने ADO पंचायत विकास खण्ड रुद्रपुर को निर्देशित किया है कि वे पत्र प्राप्ति के 3 दिन के अन्दर कांति देवी के विरूद्ध सुसंगत धाराओं में सम्बन्धित थाने में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए उसकी सूचना कार्यालय में उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।
लगातार उत्तर प्रदेश में वर्षों ने वर्षी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी करने वाले प्रकरण सामने या रहे हैं। ऐसा उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद योगी सरकार बनने के बाद से हुआ है। सरकार प्राथमिकता के आधार पर हर सरकारी कर्मी का वेरीफिकेशन करा रही है। सफाई कर्मी की फर्जी दस्तावेजों की घटना सामने आने के बाद जनपद में अन्य कर्मी बी जांच के घेरे में आ गए हैं।
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