वाराणसी। हृदयाघात परियोजना के अन्तर्गत यूपी का वाराणसी शहर थ्रोमबाॅलिसिस
थेरेपी देने वाला प्रदेश का पहला जिला बन गया है। स्वास्थ्य विभाग और आईसीएमआर ने संयुक्त
रूप से पहली बार योजनाबद्ध तरीके से हार्ट अटैक से होने वाली मौतों से निपटने की तैयारी
पूरी कर ली है। अब मरीजों में हार्ट अटैक या हृदयाघात की समस्या दिखाई देने पर उसे
थ्रंबोलाइसिस थेरेपी दी जाएगी। इस प्रक्रिया से मरीज को काफी आराम मिलेगा और मरीज
को करीब 24 घंटे का समय मिल जाता है।
इस दौरान मरीज नजदीकी किसी बड़े केंद्र पर जाकर आवश्यकतानुसार एंजियोप्लास्टी या
अन्य जरूरी उपचार करा सकता है।
थ्रंबोलाइसिस थेरेपी की जानकारी देते हुए मुख्य चिकित्सा
अधिकारी ने बताया कि शहर में हृदयाघात परियोजना को बीएचयू के कार्डियोलॉजी विभाग
के सहयोग से चलाया जा रहा है। बीएचयू हब एवं जनपद के जिला स्तरीय चिकित्सालय एवं
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्पोक के रूप में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि
हार्ट अटैक आज भी हमारे देश में मौत का मुख्य बड़ा कारण है। ज्यादातर मौत होने की
वजह गोल्डेन आवर में रोगी का चिकित्सालय नहीं पहुंच पाना होता है। समय से इलाज
नहीं मिल पाता है। मरीजों को समय से इलाज मिल सके इसके लिए हमने सामुदायिक स्वास्थ्य
केंद्र व सभी अस्पतालों में चिकित्सकों को थ्रंबोलाइसिस थेरेपी देने का प्रशिक्षण दिया
है। सीएमओ ने यह भी बताया कि इस योजना को पायलट आधार पर पहले तमिलनाडु व अन्य
प्रदेशों में शुरू किया गया था। इस योजना के लागू होने से हार्ट अटैक से होने वाली
मौतों में 50 फीसदी तक की कमी देखी गई
है।
जानिए क्या है थ्रंबोलाइसिस
थरेपी
थ्रंबोलाइसिस थरेपी के बारे में हृदय रोग विशेषज्ञ
बीएचयू के प्रोफ़ेसर धर्मेंद्र जैन ने बताया कि इस थरेपी से एंजाइम के जरिये रक्त
में मौजूद थक्के को गला दिया जाता है। इसके बाद रक्त पतला होने से वह तेजी से मरीज
की धमनियों में बहने लगता है।
मुंबई के पर्यटक के लिए वरदान बना
थ्रंबोलाइसिस उपचार
मंगलवार को मुंबई से आये 55 वर्षीय
पर्यटक के सीने में अचानक तेज दर्द होने लगा। उसे शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र
सारनाथ लाया गया। जहां चिकित्सकों ने रोगी की नाजुक हालत को देखते हुए उसे थ्रंबोलाइसिस
थरेपी दी। मरीज की हालत सामान्य होने के बाद उसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय
चिकित्सालय पांडेपुर रेफर कर दिया गया। डीडीयू में चिकित्सकों की टीम ने ईसीजी कर
रोगी की स्थिति की जानकारी ली। अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ दिग्विजय
सिंह के नेतृत्व में उसका इलाज किया गया। इलाज देने वालों में फिजिशियन डॉ मनीष
यादव, डॉ प्रेम प्रकाश,
डॉ नरेंद्र मौर्य, डॉ परवेज अहमद और डॉ शिव शक्ति द्विवेदी शामिल रहे। पहले रोगी
को इंजेक्शन टेनेक्टप्लेस से थ्रोमबाँलिसेड किया गया। फिर मरीज की एक घंटे में दो
बार ईसीजी की गई। डाँक्टरों की टीम लगातार मरीज की स्थिति की जानकारी पर नजर रखे
हुई थी। मरीज की हालत सामान्य हुई और उसकी जान बच गई।