नई दिल्ली- केंद्र सरकार ने महिला सुरक्षा के लिए चलाई जा रही महत्वाकांक्षी योजना को 2025-26 तक जारी रखने का फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, परियोजना पर होने वाले कुल व्यय 1,179.72 करोड़ रुपये में से 885.49 करोड़ रुपये गृह मंत्रालय अपने बजट से प्रदान करेगा। जबकि 294.23 करोड़ रुपये निर्भया फंड से दिए जाएंगे।
यह योजना 2021-22 से चल रही है।
कैबिनेट ने गृह मंत्रालय से इसे जारी रखने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की है। इसके अनुसार किसी देश में महिलाओं की सुरक्षा कई कारकों पर निर्भर करती है, जिसमें सख्त कानून के तहत कठोर निवारण, न्याय को प्रभावी तरीके से पहुंचाना, समय पर शिकायतों का निवारण और पीडि़त महिलाओं को सुलभ तरीके से संस्थागत सहायता प्रदान कराना शामिल हैं।
विज्ञप्ति में कहा गया कि भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन के माध्यम से महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित मामलों में कड़ी रोकथाम की गई है।
भारत सरकार ने महिला सुरक्षा की दिशा में अपने प्रयासों में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सहयोग से कई परियोजनाएं शुरू की हैं।
इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बाढ़ प्रबंधन और सीमा क्षेत्र कार्यक्रम (एफएमबीएपी) को जारी रखने की मंजूरी प्रदान की। इस कार्यक्रम का उद्देश्य वर्ष 2021-2026 की अवधि के लिए बाढ़ नियंत्रण और कटाव-रोधी उपायों के महत्वपूर्ण पहलुओं को हल करना है। एफएमबीएपी में बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम (एफएमपी) और नदी प्रबंधन एवं सीमा क्षेत्र (आरएमबीए) जैसे दो प्रमुख घटक शामिल हैं।
बयान के मुताबिक, अगले 05 वर्षों के लिए कुल 4,100 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया गया है। इसमें कहा गया कि एफएमबीएपी के बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के तहत बाढ़ नियंत्रण, कटाव-रोधी, जल निकासी और समुद्री कटाव-रोधी जैसे महत्वपूर्ण कार्यों के लिए राज्य सरकारों को 2,940 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता प्रदान की जाएगी।
धन के आवंटन का तरीका कुछ इस प्रकार होगा कि विशेष श्रेणी वाले राज्यों (पूर्वोत्तर के आठ राज्य और हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर) में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी केंद्र की होगी जबकि शेष 10 प्रतिशत हिस्सा राज्यों का होगा। वहीं सामान्य और गैर-विशेष श्रेणी वाले राज्यों में केंद्र 60 प्रतिशत और राज्य 40 प्रतिशत के हकदार होंगे।
सैटेलाइट के लिए पुर्जे बनाने में 100 प्रतिशत एफडीआइ को मंजूरी-
सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में विदेशी निवेशकों और निजी कंपनियों को आकर्षित करने के प्रयासों के तहत बुधवार को सैटेलाइट के लिए पुर्जे (कंपोनेंट्स) बनाने में 100 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति देकर अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) मानदंडों को आसान बना दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, अब सैटेलाइट से जुड़े उप क्षेत्र को तीन अलग-अलग गतिविधियों में विभाजित किया गया है।
वर्तमान में अंतरिक्ष क्षेत्र में सैटेलाइट की स्थापना और उसके संचालन के क्षेत्र में केवल सरकारी मार्ग से 100 प्रतिशत तक एफडीआइ की अनुमति है। वर्तमान नीति में बदलाव करके सरकार ने सेटेलाइट-मैन्युफैक्चरिंग और संचालन, सैटेलाइट डाटा उत्पादों और जमीन और उपयोगकर्ता क्षेत्रों में 74 प्रतिशत तक एफडीआइ की अनुमति दी है।
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