अयोध्या: 22 जनवरी को आयोजित राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह इन दिनों पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले भगवान राम की सेवा के लिए 24 पुजारियों का चयन साक्षात्कार के आधार पर कर लिया गया है। पुजारियों की चयन प्रक्रिया में जाति नहीं बल्कि योग्यता को ध्यान में रखा गया है। यही वजह है कि सामाजित समरसता के प्रतीक भगवान राम की सेवा करने के लिए हर वर्ग के पुजारियों को अवसर मिला है। चुने गए 24 पुजारियों में से 2 अनुसूचित जाति जबकि 1 पुजारी ओबीसी समुदाय से हैं।
पुजारियों को दिया जा रहा 3 माह का प्रशिक्षण
चयनित सभी 24 पुजारियों को कठिक साक्षात्कार के दौर से गुजरना पड़ा। राममंदिर का पुजारी बनने के लिए 3,240 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। जिसमें से 25 अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। बाद में एक पुजारी ने अपना नाम वापस ले लिया था। जिसके बाद अब 24 पुजारी बचे हैं। इन सभी चयनित पुजारियों को तीन माह का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान सभी पुजारियों को गुरुकुल परंपरा का पालन करना होगा।
पुजारियों को रामानंदी परंपरा के आधार पर दिया जा रहा प्रशिक्षण
सभी पुजारियों को रामानंदी परंपरा के अनुसार प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान पुजारी ना तो मोबाइल का प्रयोग कर सकते हैं और न ही किसी बाहरी व्यक्ति से मिलने की अनुमति है। पुजारियों को पौरोहित्य व कर्मकांड का प्रशिक्षण राममंदिर के महंत मिथिलेश नंदिनी शरण और महंत सत्यनारायण दास दे रहे हैं।
राम मंदिर के पुजारियों की चयन प्रक्रिया की अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि जाति पाति पूछे ना कोई, हरि का भजे सो हरि का होई। आगे उन्होंने कहा कि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पुजारियों का चयन योग्यता के आधार पर करके नई परंपरा की नींव रखी है। जो सराहनीय है।