Lucknow News: केंद्रीय विद्यालय गोमतीनगर लखनऊ की शिक्षिका सुषमा सिंह ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन चमकता हुआ सितारा है। धूम केतु सा आसमान में विद्या की अमृत धारा है, उच्च कोटि की शिक्षा से बचपन का निर्माण यहां, विज्ञानी दृष्टिकोण की शैक्षिक विचारधारा है। शिक्षिका सुषमा ने बताया कि केंद्रीय विद्यालय गोमतीनगर लखनऊ ने छात्रों के लिए अनोखा नेम स्लिप जारी किया गया है।
इस पर हिंदी कवियों-साहित्यकारों के चित्र बने हैं। विद्यालय की शिक्षिका सुषमा सिंह ने कहा कि नई पीढ़ी को इन नायकों के बारे में बहुत कम जानकारी है। इन नायकों का ऐतिहासिक महत्व बच्चे जानें, इसलिए किताब प्रकाशन से विशेष आग्रह कर इस नेम स्लिप को तैयार कराया गया है। अब विद्यालय के बच्चे इसी नेम स्लिप को अपनी पुस्तकों पर चस्पा करेंगे। उस पर अपना नाम, कक्षा एवं विषय लिखेंगे।
उन्होंने बताया कि यह एक तरह से विद्यार्थियों के ज्ञान को बढ़ाने की कोशिश है। वैसे विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न रचनात्मक गतिविधियां भी शामिल हैं। सरकार की सोच है कि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो। इससे बच्चे रचनात्मक और सृजनात्मक होते हैं। कोई भी नई चीज आसानी से सीखने का बच्चों में कौशल होता है।
सृजनात्मक शक्ति का विकास, संप्रेषण क्षमता एवं सहभागिता का विकास, समूह में पारस्परिक सीखने का विकास, शारीरिक विकास, दबावमुक्त, आनंददायी सीखने का वातावरण, मूल्यों का विकास आदि उद्देश्य को लेकर स्कूल स्तर पर अवसर देकर बच्चों को होनहार बनाया जा सकेगा।
साहित्यकारों के जीवन के प्रेरक प्रसंगों से प्रेरित होंगे बच्चे, बढ़ेगा रचनात्मक ज्ञान-
शिक्षिका सुषमा सिंह ने बताया कि साहित्यकारों की श्रृंखला बच्चों को न केवल किताबों के नजदीक लाएगी बल्कि इससे उनमें रचनात्मक ज्ञान बढ़ेगा। तमाम भाषाओं को जानने का मौका मिलेगा। बच्चे साहित्यकारों के जीवन के प्रेरक प्रसंगों से प्रेरित होंगे। इससे बच्चों की रुझान हिंदी साहित्य की ओर बढ़ेगी। लेखकों की प्रेरणास्पद बातें जो उनकी कहानियों और कृतियों में हैं, उन्हें पढ़कर अभिभूत होंगे।
हिंदी कवियों की कहानियों में छिपे संदेशों को जीवन में उतारने की जरूरत-
हिंदी साहित्य हमारा प्रेरणा स्रोत है। इसके पास जीवन की वास्तविकता को खोलकर दिखाने की क्षमता है। हिंदी साहित्य मन को शांति और शीतलता प्रदान करता है, जो जीवन की वास्तविकता से परिचय कराता है। साहित्य में हर रस का आनंद मिलता है। मुंशी प्रेमचंद की कहानी-उपन्यास हो या सुमित्रा नंदन पंत की कविता, सूर के पद हों या रहीम के दोहे, मीरा का दर्द महादेवी के गीतों में झलकता है।
गद्य की गहनता और चित्रात्मकता सूक्तियों के साथ समन्वित होकर दिल पर अमिट छाप छोड़ने में सक्षम है। प्रेमचंद की कहानियों में छिपे संदेशों को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है।
ऐसा है नेम स्लिप-
केंद्रीय विद्यालय की ओर से जारी नेम स्लिप पर हिंदी कवियों-साहित्यकारों के चित्र दर्शाए गए हैं। उनमें (1907-2003), तुलसीदास (1532-1623), मुंशी प्रेमचंद (1880-1936), सूरदास (1478-1583), सूर्यकांत त्रिपाठी (1899-1961), मैथिली शरण गुप्त (1886-1964), महादेवी वर्मा (1907-1987), सुमित्रा नंदन पंत (1900-1977) शामिल हैं।
चित्र के ऊपर केंद्रीय विद्यालय फिर नीचे की तरफ क्रम से नाम, कक्षा, रोल नंबर, विषय, मोबाइल नंबर लिखा है।
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