प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त करने वाले शासन के निर्णय पर अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी है। 9 नवम्बर 2023 को सेवा समाप्त करने के शासनादेश के विरोध में कई याचिकाएं हाईकोर्ट में फाइल हुई थीं।
कोर्ट ने शिक्षकों के पक्ष में अंतरिम आदेश पारित करते हुए स्पष्ट किया है कि यह आदेश केवल उन्हीं तदर्थ टीचरों पर लागू होगा, जिनकी नियुक्तियां सेकंड रिमूवल आफ डिफिकल्टी ऑर्डर एवं धारा 18 तथा यूपी माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग रूल्स 1995 के नियम 15 के अंतर्गत की गई हों।
यह आदेश जस्टिस अजीत कुमार ने विनोद कुमार श्रीवास्तव व कई अन्य दाखिल याचिकाओं पर पारित किया है। कोर्ट ने अपने पारित अंतरिम आदेश में यह भी कहा है कि अंतरिम आदेश का लाभ उन्हीं तदर्थ टीचरों को मिलेगा जो टीचर धारा 33 बी, सी, जी के तहत विनीयमितीकरण के अधिकारी होंगे। कोर्ट इन याचिकाओं पर अब आगे 14 मार्च 2024 को पुनः सुनवाई करेगा।
प्रदेश के विभिन्न माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त तदर्थ शिक्षकों ने अलग-अलग याचिकाएं दाखिल कर प्रदेश सरकार द्वारा 9 नवम्बर 2023 को जारी शासनादेश को विभिन्न आधारों पर चुनौती दी है। सरकार ने इस शासनादेश के द्वारा प्रदेश में कार्यरत तदर्थ अध्यापकों को जो धारा 33जी के तहत विनीयमितीकरण के अधिकारी नहीं है, उनकी सेवाएं समाप्त करने का निर्देश दिया है।
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कोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ा रहे तदर्थ शिक्षकों को राहत अवश्य मिली है। जिसके चलते शिक्षकों व उनके परिजनों के बीच प्रसन्नता का वातावरण है। बता दें कि सरकार के इस आदेश के चलते इन शिक्षकों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया था। जिसके बाद शिक्षकों ने न्यायालय की शरण ली थी। अब हाईकोर्ट से उन्हें कुछ राहत मिलती हुई दिख रही है।