काबुल: अफगानिस्तान की सत्ता पर काबिज होने के बाद से तालिबान का भारत के प्रति नरम रुख रहा है। अब जो अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने निर्णय लिया है वह मोदी सरकार की विदेश नीति का महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। तालिबान ने अफगानिस्तान ने रह रहे धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तहत वहां रह रहे हिंदुओं और सिखों को उनकी जमीनें वापस की जाएंगी। इसको लेकर कार्य भी प्रारंभ हो गया है।
मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, तालिबान सरकार के अधिकारियों ने इन संपत्तियों को पहले की अमेरिका समर्थित सरकार से जुड़े लोगों से वापस लेने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। अफगान की तालिबानी सरकार अपने इस निर्णय को वहां के अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले अन्याय को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम बता रही है।
बता दें कि लंबे समय से अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदू-सिख वहां हाशिए पर थे। जिसकी वजह से बड़ी संख्या में वहां से लोगों ने पलायन भी किया। किसी ने भारत तो किसी ने कनाडा में शरण ली। खबरें आ रही हैं कि हिंदू और सिखों का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद नरेंद्र सिंह खालसा कनाडा से अफगानिस्तान की राजधानी वापस आ चुके हैं।
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने मीडिया से बात करते हुए यह जानकारी दी है कि पहले की सरकार के दौरान अल्पसंख्यकों की हड़पी गई संपत्तियों को उनके वारिसों को वापस करने के लिए न्याय मंत्री की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया है। वहीं, उन्होंने 2021 में भंग हुई अफगान संसद के पूर्व सदस्य नरेंद्र सिंह खालसा की काबुल वापसी का भी स्वागत किया है।
बता दें कि 2021 में तालिबान के सत्ता में काबिज होने के बाद बड़ी सख्या में हिंदू और सिखों ने अफगानिस्तान छोड़ दिया था। तब भारतीय वायु सेना ने बड़ी संख्या में लोगों की मदद की थी। वर्तमान में अफगानिस्तान में हिंदू और सिखों की कुल आबादी 1 प्रतिशत है।