अयोध्या: 22 जवनरी को रामलला अपने जन्मभूमि पर बने विशाल मंदिर में विराजमान होंगे। इसके देखते हुए भव्य रूप से प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी की जा रही है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट प्राण प्रतिष्ठा समारोह को दिव्य बनाने में जुटा हुआ है।
1 जनवरी से 15 जनवरी तक राम भक्त घर-घर जाकर देशव्यापी ‘पूजित अक्षत वितरण अभियान’ चला रहे हैं। वहीं, प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जिन अथितियों को आमंत्रित किया जाना है, उन्हें निमंत्रण पत्र भेजे जा रहे हैं। ऐसे में राम मंदिर के बारे में जानने के लिए लोगों में उत्सुकता है।
श्री राम जन्मभूति तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियां सोशल मीडिया साइट एक्स पर साझा की जाती रहती हैं। इसी क्रम में ट्रस्ट के आधिकारिक एक्स एकाउंट पर अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की विशेषताएं बताई गई हैं।
कैसा होगा श्रीराम मंदिर का स्वरूप?
अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम जन्मभूमि मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट तथा ऊंचाई 161 फीट रहेगी।
मंदिर तीन मंजिला रहेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी। मंदिर में कुल 392 खंभे व 44 द्वार होंगे। मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम का बालरूप में विग्रह होगा व प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा। मंदिर में 5 मंडप होंगे:- 1-नृत्य मंडप, 2-रंग मंडप, 3-सभा मंडप, 4-प्रार्थना मंडप व कीर्तन मंडप।
खंभों पर उकेरी जा रहीं देवी-देवताओं की मूर्तियां
मंदिर के खंभों व दीवारों पर देवी-देवता व देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं। मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा। दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी। मंदिर के चारों ओर चारों ओर आयताकार परकोटा रहेगा।
चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर तथा चौड़ाई 14 फीट होगी। परकोटा के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति व भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा। उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा, व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा। मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीताकूप विद्यमान रहेगा।
मंदिर परिसर में इन श्रषियों के भी होंगे मंदिर
मंदिर परिसर में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता शबरी व ऋषिपत्नी देवी अहिल्या के मंदिर मंदिर होंगे। दक्षिण पश्चिमी भाग में नवरत्न कुबेर टीला पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है एवं वहां जटायु प्रतिमा की स्थापना की गई है।
मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा
मंदिर में लोहे का प्रयोग नहीं होगा। धरती के ऊपर बिलकुल भी कंक्रीट नहीं है। मंदिर के नीचे 14 मीटर मोटी रोलर कॉम्पेक्टेड कंक्रीट (RCC) बिछाई गई है। इसे कृत्रिम चट्टान का रूप दिया गया है। मंदिर को धरती की नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंची प्लिंथ ग्रेनाइट से बनाई गई है।
मंदिर परिसर में स्वतंत्र रूप से सीवर ट्रीटमेंट प्लांट, वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट, अग्निशमन के लिए जल व्यवस्था तथा स्वतंत्र पॉवर स्टेशन का निर्माण किया गया है, ताकि बाहरी संसाधनों पर न्यूनतम निर्भरता रहे।
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मंदिर परिसर के 70 प्रतिशत क्षेत्र में रहेगी हरियाली
मंदिर परिसर में 25 हजार क्षमता वाले एक दर्शनार्थी सुविधा केंद्र (Pilgrims Facility Centre) का निर्माण किया जा रहा है, जहां दर्शनार्थियों का सामान रखने के लिए लॉकर व चिकित्सा की सुविधा रहेगी। मंदिर का निर्माण पूर्णतया भारतीय परम्परानुसार व स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है।
पर्यावरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा। साथ ही मंदिर परिसर में स्नानागार, शौचालय, वॉश बेसिन, ओपन टैप्स आदि की सुविधा भी रहेगी।