नई दिल्ली: आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बांड मामले पर सुनवाई की। सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को यह आदेश दिया है कि वह खरीदे गए और कैश कराए गए सभी इलेक्टोरल बांड की विस्तृत जानकारी इलेक्शन कमिशन को दे, जिसे वह अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे। शीर्ष अदालत ने कहा कि SBI 21 मार्च शाम 5 बजे तक इस आदेश के पालन की जानकारी देते हुए हलफनामा दाखिल करें।
अदालत ने कहा आदेश से ये स्पष्ट था कि SBI को पूरी जानकारी उपलब्ध करानी थी। उसमें बांड नंबर भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक के चेयरमैन से कहा कि भविष्य में किसी विवाद की आशंका को समाप्त करने के लिए, वो 21 मार्च 5 बजे तक कोर्ट में हलफनामा दाखिल करें कि उनके पास मौजूद सारी जानकारी चुनाव आयोग को दे दी गई है। साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी आदेश दिया कि निर्वाचन आयोग SBI से मिली जानकारी को तल्काल अपनी वेबसाइट पर डालेगा।
उल्लेखनीय है कि 16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने इलेक्टोरल बांड मामले में सीलबंद डाटा चुनाव आयोग को सौंप दिया था। इस डेटा में 2019 और नवंबर 2023 में दिए गए इलेक्टोरल बांड की जानकारी थी। सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय बेंच ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया था, कि वो 2019 और नवंबर 2023 के डाटा की कॉपी अपने पास रख कर, उसकी मूल प्रति निर्वाचन आयोग को सौंप दे।
15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्शन कमिशन की अर्जी पर सुनवाई करते हुए सवाल उठाया था कि बैंक ने जो डेटा निर्वाचन आयोग को दिए है, उसमें बांड नंबर का उल्लेख नहीं किया गया है। मुख्य न्यायाधीश DY चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान बेंच ने SBI को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को आदेश दिया था कि वो खरीदे गए बांड का डेटा और जमा करने वाले राजनीतिक दलों के नाम, यूनिक न्यूमेरिक नंबर और धनराशि का ब्योरा दें। बांड नंबर जारी होने के बाद, यह पता चल सकेगा कि किसने और किस दल को कितना आर्थिक सहयोग किया।
दरअसल, निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि कोर्ट के 12 अप्रैल 2019 व 2 नवंबर 2023 के अंतरिम आदेश के अनुसार, कुछ आंकड़े सील कवर में सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए थे। 11 मार्च के आदेश में कोर्ट ने कहा था कि निर्वाचन आयोग उन आंकड़ों को संभाल कर रखेगा, लेकिन वो आंकड़े कोर्ट में जमा हैं। ऐसे में अदालत अपने 11 मार्च वाले आदेश में बदलाव करे या सुप्रीम कोर्ट में जमा सील बंद डेटा को वापस निर्वाचन आयोग को वापस कर दे।
उल्लेखनीय है कि 14 मार्च को निर्वाचन आयोग ने SBI की ओर से दी गई इलेक्टोरल बांड की सूचना को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित कर दिया था। शीर्ष अदालत ने 11 मार्च को इलेक्टोरल बांड से जुड़ी जानकारी देने की मियाद 30 जून तक बढ़ाने वाली SBI की याचिका को खारिज कर दिया था और स्टेट बैंक को 12 मार्च तक जानकारी देने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि ये जानकारी 15 मार्च तक अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें।