नई दिल्ली: इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सर्वोच्च न्यायालय में आज शुक्रवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को फटकार लगाई है। साथ ही कोर्ट ने SBI को नोटिस जारी कर यह पूछा है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के अल्फा न्यूमिरिक नंबरों के बारे में जानकारी क्यों नहीं दी गई। कोर्ट ने SBI को आदेश दिया है कि बॉन्ड नंबर की जानकारी चुनाव आयोग को दिया जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सील बंद लिफाफे में रखा डेटा निर्वाचन आयोग को दिया जाए, क्योंकि यह आंकड़ा आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाना है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। साथ ही SBI को आदेश दिया था कि बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारियों को साझा किया जाए। निर्वाचन आयोग को भी शीर्ष अदालत ने आदेशित किया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारियां अपनी वेबसाइट पर उपलोड करें। जिसके बाद चुनाव आयोग ने कोर्ट के आदेश में संशोधन को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में एक अर्जी दाखिल की थी। इसी मामले पर आज सुबह सुनवाई हुई।
शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि बॉन्ड नंबरों से पता चलेगा कि किस दानदाता ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया और उस बॉन्ड को कब भुनाया गया। ताकि यह पूरी जानकारी इलेक्शन कमीशन की वेबसाइट पर अपलोड की जा सके। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी।
SBI द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, इलेक्टोरल बॉन्ड 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ रुपये तक के खरीदे गए हैं। हालांकि, इस जानकारी में यह स्पष्ट नहीं है कि किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को फटकार लगाई है कि बॉन्ड अल्फा न्यूमिरिक नंबरों को भी साझ किया जाए।
इन कंपनियों ने खरीदे इलेक्टोरल बॉन्ड
इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक पार्टियों को सहयोग राशि देने वाली कंपनियों में टोरेंट पावर,डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, भारती एयरटेल, ग्रासिम इंडस्ट्रीज, वेदांता लिमिटेड, पीरामल एंटरप्राइजेज, मेघा इंजीनियरिंग आदि का नाम शामिल है।
कब रद्द हुई इलेक्टोरल बॉन्ड योजना
सुप्रीम कोर्ट ने बीती 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। अदालत ने कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड की गोपनीयता अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। इस मामले पर सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूर्ण की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ कर रही है।
क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड योजना
भारत सरकार ने 29 जनवरी 2018 को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को लागू किया था। इस योजना के तहत SBI राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के लिए बॉन्ड जारी कर सकता है। इस बॉन्ड को कोई भी दानदाता खरीद सकता है। इलेक्टोरल बॉन्ड में भुगतानकर्ता का नाम नहीं होता है।