लखनऊ: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आंध्र प्रदेश के ‘लेपाक्षी‘ के दौरे पर हैं। प्रधानमंत्री ने लेपाक्षी के वीरभद्र मंदिर पहुंचे। इस मंदिर का रामायण में गहरा नाता है। पवित्र मंदिर में दर्शन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने महाकाव्य रंगनाथ रामायण के छंद भी सुने।
आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित लेपाक्षी पौराणिक वैभव से परिपूर्ण एक नगर है। जिसे भारत की समृद्ध वास्तुकला और आध्यात्मिक विरासत का संगम कहा जाए तो गलत नहीं होगा। वाल्मिकी रामायण के अनुसार इसी स्थान पर भगवान राम की भेंट घायल जटायु से हुई थी। जटायु ने माता सीता का हरण करके ले जा रहे रावण से युद्ध किया था, जिसमें वह घायल हो गए थे।
तेलुगु में ‘लेपाक्षी’ का अर्थ है ‘हे पक्षी उठो’ कहा जाता है, यह नाम जटायु को श्रद्धांजलि है। इस शहर में अनेक प्राचीन मंदिर हैं। जिनका वर्णन सनातन धर्म की पौराणिक कथाओं में किया गया है। शिव, विष्णु, पापनाथेश्वर, रघुनाथ, राम और अन्य देवताओं को समर्पित इन मंदिरों में प्रभावशाली नक्काशी और मंत्रमुग्ध कर देने वाली मूर्तियां स्थापित हैं। वीरभद्र मंदिर के स्तंभों पर बारीक विस्तृत नक्काशी विशाल नंदी की प्रतिमा अभूतपूर्व है।
लेपाक्षी शहर में आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र वीरभद्र मंदिर है, जिसे आमतौर पर लेपाक्षी मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर प्राचीन वास्तुकला के चमत्कारों का प्रमाण है। यह मंदिर चट्टान से निर्मित है। मंदिर में उत्कृष्ट नक्काशीदार कृतियां विजयनगर साम्राज्य की ऐतिहासिक भव्यता की पुष्टि कराती हैं। मंदिर परिसर का एक बड़ा हिस्सा कछुए के आकार की पहाड़ी पर स्थित है। जिसे कुर्मासैलम के नाम से जाना जाता है।
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मंदिर में एक लटकता हुआ स्तंभ है, जो आसपास के स्तंभों के समान ही है। यह स्तंभ जमीन पर टिके बिना चमत्कारिक रूप से लटका हुआ है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर में देवी सीता के पैरों के निशान संरक्षित हैं। मंदिर की दीवारें संगीतकारों, संतों की छवियों को चित्रित करती हैं। जिनमें नृत्य करते हुए गणेश, माता पार्वती और भगवान शिव की मनोरम मूर्तियां हैं। ऐसा माना जाता है कि मंदिर की आंतरिक गुफा ऋषि अगस्त्य का निवास स्थान है। मंदिर 70 स्तंभों से सुशोभित है।