New Delhi: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फिनटेक से जुड़े ग्लोबल थॉट लीडरशिप प्लेटफॉर्म-इन्फिनिटी फोरम के दूसरे संस्करण को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पिछली छमाही में भारत की 7.7 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि पिछले 10 वर्षों के परिवर्तनकारी सुधारों का परिणाम है। भारत गहरे लोकतांत्रिक मूल्यों और व्यापार और वाणिज्य की ऐतिहासिक परंपरा वाला देश है। भारत में प्रत्येक निवेशक या कंपनी के लिए अवसरों की सबसे विविध शृंखला मौजूद है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि भारत ग्लोबल साउथ को नेतृत्व देने के लिए मजबूत स्थिति में है। कुछ हफ्ते पहले वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने कहा कि भारत में लालफीताशाही कम हुई है और निवेश के लिए बेहतर माहौल है। प्रधानमंत्री ने कहा, आज भारत की ग्रोथ स्टोरी ने दुनिया को दिखाया है कि जब पॉलिसी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए, जब गुड गवर्नेंस के लिए पूरी ताकत लगाई जाए, जब देश और देशवासियों का हित ही आर्थिक नीतियों का आधार हो, तो क्या नतीजे मिलते हैं।
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भारतीय अर्थव्यवस्था ने इस वित्तीय वर्ष के पहले 6 महीने में ही 7.7 प्रतिशत की दर से प्रगति की है। उन्होंने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत से उम्मीद लगाए हुए है और ये ऐसे ही नहीं हुआ है। ये भारत की मजबूत होती अर्थव्यवस्था और पिछले 10 वर्षों में किए गए परिवर्तनकारी सुधारों का परिणाम है। उन्होंने कहा कि गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक (गिफ्ट) सिटी को नए युग की वैश्विक वित्तीय, प्रौद्योगिकी सेवाओं का वैश्विक केंद्र बनाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि गिफ्ट सिटी में 21वीं सदी की आर्थिक नीतियों की मंथन होना, गुजरात का गौरव बढ़ाने वाला है।
भारत आज विश्व के सबसे तेजी से बढ़ते फिनटेक बाजार में से एक है। फिनटेक में भारत की ताकत गिफ्ट IFSC के विजन से जुड़ी हुई है, जिसके कारण ये स्थान फिनटेक का एक उभरता हुआ केंद्र बन रहा है। गिफ्ट सिटी में दुनिया के लिए ग्लोबल फिनटेक वल्ड का गेट-वे और फिनटेक लेबरोटरी बननी की क्षमता है। प्रधानमंत्री मोदी ने यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में गरबा नृत्य को शामिल करने के लिए गुजरात के लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि गुजरात की सफलता देश की सफलता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज विश्व के सामने खड़ी सबसे बड़ी चुनौतियों में जलवायु परिवर्तन भी एक है। विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के कारण भारत भी इन चिंताओं को कम नहीं आंकता है। इसको लेकर हम सचेत हैं।
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