भगवान भोलेनाथ के त्रिशूल पर बसी अध्यात्मिक नगरी काशी की विश्व प्रसिद्ध देव-दीपावली में गोरखपुर की भागीदारी भी देखने को मिलेगी। दरअसल गोरखपुर में पली-बढ़ी देसी गायों के गोबर से गोरखपुर में ही बने ‘हवन दीप’ इसकी जगमगाहट को और बढ़ाने वाले हैं।
दीपावली के बाद मनाई जाने वाली काशी की “देव दीपावली” के खास अवसर पर इस बार कुछ रोशनी और ढेर सारी खुशबू शिवावतारी गुरु गोरखनाथ और नाथ संप्रदाय से ही जुड़े यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में बने ‘हवन दीपों’ की भी होगी। यह ‘हवन दीप’ देसी गाय के गोबर से बन रहे हैं। इसके लिए सिद्धि विनायक वूमेन स्ट्रेंथ सोसाइटी की संगीता पांडेय को प्रदेश के एमएसएमई विभाग द्वारा संचालित यूपी डिजाइन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से ऑर्डर मिला है।
ये भी पढ़ें- CM योगी रविवार से गोरखपुर दौरे पर, नवरात्रि में पूजन कार्यक्रमों में होंगे शामिल
हवन दीप, देसी गाय के गोबर से ही क्यों बनाया जा रहा है ?
संगीता पांडेय के अनुसार विदेशी नस्ल की गायों के गोबर की तुलना में देसी गाय का गोबर टाइट होने की वजह से इसे शेप (आकार) देना आसान है। वर्तमान में गोरखपुर से सटे गुलरिहा गांव की लगभग 50 महिलाएं हवन दीपों को अपने हुनरमंद हाथों से आकर दे रहीं हैं।
प्रदूषण मुक्त होता है हवन दीप
संगीता के अनुसार “हवन दीप” पूरी तरह ‘प्रदूषण मुक्त’ होता है। जलने के बाद राख को छोड़ इससे कोई अपशिष्ट बचती ही नहीं। इसे बनाने के लिए पहले देसी गाय का गोबर एकत्र कर उसमें अगरबत्ती को सुगंधित करने वाला इसेंस डाला जाता है। फिर गोबर को खूब गूंथकर उसे कफ सिरप के आकार के ऊपर से कटी शीशी के चारों ओर लपेटा जाता है।
सूखने पर शीशी को गोबर से अलग कर देते हैं। फिर इसमें हवन में प्रयोग की जाने वाली सारी सामग्री (सुपारी, जौ, तिल, देशी घी, गुग्गुल) डालकर लोबान से लॉक कर दिया जाता है। ऊपर से आसानी से जलने के लिए कुछ कपूर रख दिया जाता है। ये सारी चीजें रोशनी और खुशबू देने के बाद राख में बदल जाती हैं।