राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत के मूल में सेक्युलरिज्म और सस्टेनेबल डेवलपमेंट है। इन्हीं के जरिए आगे बढ़कर भारत विश्व गुरू बन सकता है और जरूरत पड़ने पर दुनिया को दिशा दिखा सकता है। मोहन भागवत ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने पूरी दुनिया को अपनी शक्ति से अवगत कराया है।
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संघ प्रमुख ने ये बातें अपने दो दिन के प्रवास के दौरान ग्रेटर नोएडा में कही। मोहन भागवत ने यहां शारदा विश्वविद्यालय के सभागार में ‘स्व आधारित भारत’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि पूरी दुनिया सेक्युलरिज्म और टिकाऊ विकास की बात कर रही है, जबकि भारत युगों से इन्हीं दो महत्वपूर्ण आधारों पर टिका हुआ है।
उन्होंने कहा कि विदेश वाले आयुर्वेद और योग को जादू-टोना समझते थे, लेकिन अब पूरी दुनिया योग दिवस का आयोजन कर रही है। आयुर्वेद की ताकत को दुनिया ने पहचान लिया है। हमें भी इस ताकत को पहचानना होगा। उन्होंने कहा कि भारत की उन्नति की प्रतीक्षा पूरी दुनिया कर रही है। इसलिए भारत को खुद खड़ा होना होगा।
मोहन भागवत ने कहा कि भारत दुनिया की जरूरत है। हम बने हैं, हमें बनाया नहीं गया है। भारत प्राकृतिक रूप से चारों तरफ से सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि पूरी दुनिया में राष्ट्र एक लक्ष्य को हासिल करने के लिए उत्पन्न हुए हैं। उस लक्ष्य को हासिल करने के बाद उनका अवसान हो जाता है।
संघ प्रमुख ने कहा कि अथर्वेद के पृथ्वी सूक्त में कहा गया है कि हम पृथ्वी के पुत्र हैं। सीमा का कोई उल्लेख नहीं था। समृद्धि थी, तो बाहर से आने वाले से कोई विवाद नहीं था। सारे विश्व को अपना परिवार मानने वाला विविधतापूर्ण समाज, उस समय से लेकर आज तक चल रहा है। उन्होंने कहा शक, कुषाण, हूण, यवन, ब्रिटिश व पुर्तगाल वाले आए। हमले किए लेकिन सबको पचाकर हम आज भी उपस्थित हैं।
उन्होंने कहा कि आज का प्रजातंत्र यही है। हमारे मत भिन्न है, लेकिन एक साथ चलेंगे। रास्ते अलग होते हैं, लेकिन सब एक स्थान पर जाते हैं। इसलिए समन्वय से चलो क्योंकि यह देश धर्म परायण है। धर्म प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य निर्धारित करता है। भारत की यात्रा को धर्म नियंत्रित करता है।