लखनऊ में आवास विकास भूखंड फर्जीवाड़े में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सत्येंद्र सिंह सहित 4 लोगों के खिलाफ गाजीपुर थाने में केस दर्ज हुआ है। सीबीसीआईडी की तरफ से ये मामला दर्ज किया गया है। दरअसल 1991 में आवास विकास परिषद की इंदिरानगर आवासीय योजना में सविता गर्ग नाम की महिला को भूखंड आवंटित हुआ था। लेकिन बाद में सविता की फाइल गायब कर उस भूखंड को एक कांस्ट्रक्शन कंपनी को आवंटित कर दिया गया था।
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आरोप है कि आवास विकास परिषद की इंदिरानगर आवासीय योजना के भूखंड आवंटन में फर्जीवाड़ा हुआ। जानकारी के मुताबिक, परिषद की इंदिरानगर योजना में नीलामी के माध्यम से इंदिरानगर की बी-13 में रहने वाली सविता गर्ग को 23 सितम्बर 1991 में भूखंड आवंटित हुआ था, लेकिन सविता को आवंटित किए गए इस भूखंड को जब एक कांस्ट्रक्शन कंपनी को दे दिया गया,, तो मामला प्रकाश में आया। इस मामले में शिकायत दर्ज करायी गई।
नेहरू एनक्लेव निवासी कृष्णकांत मिश्रा का आरोप है कि सविता ने प्रीमियम कंस्ट्रक्शंस के प्रतिनिधि के तौर पर नीलामी में हिस्सा लिया था। हालांकि सविता ने इससे इंकार कर दिया था। सविता ने आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया था कि वह एकल नीलामी में शामिल हुई थीं। आरोपों के संबंध में कोई पुख्ता दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जा सके थे।
सविता ने 2020 में तत्कालीन गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्रा से शिकायत की। इसके बाद गृह सचिव मणि प्रसाद ने सीबीसीआईडी को जांच के आदेश दिए थे। जांच के बाद अब सीबीसीआईडी के इंस्पेक्टर आशीष कुमार ने सेवानिवृत्त आईएएस सत्येंद्र सिंह, तत्कालीन संपत्ति प्रबंध अधिकारी कृपाशंकर मिश्रा, विजय कुमार मेहरोत्रा और लेखाधिकारी सुरेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। इन सभी को आरोपी बनाया गया है।
बता दें कि इस मामले में आरोपी बनाए गए विजय कुमार 30 जून 2014 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सत्येंद्र सिंह भी 31 दिसंबर 2018 को शासन से सचिव पद से रिटायर हो चुके हैं। वहीं, आरोपी सुरेश की वर्ष 2017 और कृपाशंकर की वर्ष 2018 में मौत हो चुकी है।