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गाजी नहीं अब बहराइच में महाराजा सुहेलदेव के विजयोत्सव पर लगेगा मेला, 20 साल पहले ही सीएम योगी ने रख दी थी नींव

यूपी के देवीपाटन मंडल का प्रमुख जिला बहराइच अपने आप में गौरवशाली इतिहास संजोए हुए है. 11वीं सदी में महाराजा सुहेलदेव श्रावस्ती के शासक हुआ करते थे, बहराइच भी उन्हीं के अधिकार क्षेत्र में आता था. महाराजा सुहेलदेव ने 1034 ई. में बहराइच की चित्तौरा झील में आक्रांता महमूद गजनवी के भतीजे सैयद सालार मसूद गाजी को हराया था. जो भारत में लूटा़पाट करने के इरादे से आया था.

live up bureau by live up bureau
Jun 11, 2025, 06:00 pm IST
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बहराइच: चक्रवर्ती सम्राट महाराजा सुहेलदेव राजभर के विजय दिवस (10 जून) पर सीएम योगी ने उनकी 40 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया. साथ ही सीएम ने सालार मसूद गाजी की दरगाह पर लगने वाला ‘गाजी मेला’ की अनुमति देने से भी मना कर दिया. सीएम योगी ने सालार मसूद गाजी को विदेशी आक्रांता बताते हुए, उसका महिमामंडन करने वालों पर जमकर निशाना साधा.

विदेशी आक्रांताओं का महिमा मंडन बंद होना चाहिए, राष्ट्र नायकों का सम्मान होना चाहिए… pic.twitter.com/YIk4Tkmqu2

— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 10, 2025

सीएम के बयान के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि आखिर सालार मसूद गाजी कौन था? क्योंकि उसे एक सूफी संत को तौर पर प्रचारित किया गया. हर साल उसकी दरगाह पर लगने वाले मेले में पहुंचने वाले 80 प्रतिशत लोग हिंदू होते हैं. जबकि महाराजा सुहेलदेव राजभर ने मुस्लिम आक्रांता सालार मसूद गाजी, जो हिंदुओं को मारने और मंदिरों का खजाना लूटने के इरादे से भारत आया था, उसे युद्ध मैदान में मार गिराया था. फिर भी दशकों से इसी आक्रांता के नाम पर बहराइच और संभल में मेला लगता रहा. जिसे योगी सरकार ने बंद कर दिया है.

महाराजा सुहेलदेव और सालार मसूद गाजी के बीच युद्ध

यूपी के देवीपाटन मंडल का प्रमुख जिला बहराइच अपने आप में गौरवशाली इतिहास संजोए हुए है. 11वीं सदी में महाराजा सुहेलदेव श्रावस्ती के शासक हुआ करते थे, बहराइच भी उन्हीं के अधिकार क्षेत्र में आता था. महाराजा सुहेलदेव ने 1034 ई. में बहराइच की चित्तौरा झील में महमूद गजनवी के भतीजे व उसके सेनापति सैयद सालार मसूद गाजी को हराया था.

राष्ट्रनायक के रूप में प्रतिष्ठित महाराजा सुहेलदेव की विरासत को लोककथाओं और ऐतिहासिक अभिलेखों में वर्णित किया.गया है.  विशेष रूप से 17वीं सदी में अब्द-उर-रहमान चिश्ती द्वारा लिखा गया फारसी ग्रंथ मिरात-ए-मसूदी में उनके वारे में वर्णन मिलता है. ग्रंथ के अनुसार, मोरध्वज के पुत्र महाराजा सुहेलदेव राजभर को साकारदेव, सुहिरदाध्वज व सहरदेव आदि नामों से भी जाना जाता है.

थारू, बंजारा और छोटे सरदारों को एकजुट कर लड़ी लड़ाई

महाराजा सुहेलदेव एक साहसी राजा थे, जिन्होंने थारू, बंजारा और छोटे सरदारों को एकजुट कर मुस्लिम आक्रांताओं से लड़ाई लड़ी और हिंदू समाज व मंदिरों की रक्षा की. जिस चित्तौरा झील में सुहेलदेव ने सालार मसूद गाजी को हराया था, वह स्थान आज भी खास है. जहां वसंत पंचमी और कार्तिक पूर्णिमा पर मेला का आयोजन होता है. लोग उन्हें हिंदू धर्म का रक्षक मानते हैं.

सालार मसूद गाजी को सूफी संत के तौर पर किया गया प्रचारित

हालांकि, दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि जिस क्रूर मुस्लिम आक्रांता सालार मसूद गाजी को महाराजा सुहेलदेव ने युद्ध में मार गिराया था, बाद में उसे सूफी संत के तौर पर प्रचारित कर उसकी कब्र पर सजदा करने की परंपरा शुरूकर दी गई. इतिहासकारों का कहना है कि मुस्लिम शासकों ने उसे शहीद (इस्लाम की लड़ाई लड़ते हुए मारा जाने वाला) का दर्जा दिया. साथ ही उसे सूफी संत के तौर पर पेश किया. मजार पर मेला लगाने की परंपरा शुरू की गई. उसकी मजार पर सजदा करने वाले करीब 80 प्रतिशत हिंदू होते हैं.

इस्लाम में गाजी शब्द की मान्यता

इस्लाम के अनुसार, गाजी शब्द का अर्थ योद्धा से है. जो मुस्लिम योद्धा ‘गजवा-ए-हिंद’ यानी इस्लाम के विस्तार में लड़ाई लड़ता है, उसे गाजी की उपाधि मिलती है. इस्लाम के अनुसार ‘काफिर’ वह है जो अल्लाह और उसके पैगंबर में ईमान नहीं रखता. मुस्लिम आक्रांताओं ने भारत में इस्लाम फैलाने और यहां के मंदिरों को लूटने के लिए ‘गजवा-ए-हिंद’ का अभियान चलाया था. सालार मसूद गाजी उसी उद्देश्य के तहत भारत आया था.

विदेशी आक्रांता के नाम पर मेला नहीं- सीएम योगी

मंगलवार को सीएम योगी जब महाराजा सुहेलदेव राजभर की प्रतिमा का अनावरण किया. इस दौरान उन्होंने घोषणा की कि बहराइच में अब विदेशी आक्रांता के नाम पर कोई आयोजन नहीं होगा. उन्होंने कहा कि बहराइच का मुख्य आयोजन होगा तो महाराजा सुहेलदेव जी के नाम पर होगा, बालार्क ऋषि के नाम पर होगा, आदिशक्ति मां पाटेश्वरी देवी के नाम पर होगा. सीएम ने कहा कि महाराजा सुहेलदेव ने भारत को विधर्मियों के आक्रमण से बचाकर धरा और धर्म की रक्षा की, लेकिन उन्हें ही सम्मान देने से वंचित कर दिया गया.

भाजपा ने दिया महाराजा सुहेलदेव राजभर को सम्मान

भाजपा सरकार में 1999 में लखनऊ में बनी सुहेलदेव राजभर की मूर्ति

महाराजा सुहेलदेव राजभर वीर योद्धा थे, यह बात इतिहास में लिखे प्रसंगों से स्पष्ट है. लेकिन उन्हें वह सम्मान न मिला जिसके वो हकदार थे. कांग्रेस, सपा और बसपा सरकार के कार्यकाल में महाराजा सुहेलदेव राजभर का शौर्य गुमनामी में रहा. हालांकि, जब यूपी में भाजपा की सरकार बनी तो उनकी मूर्तियों के स्थापना का क्रम प्रारंभ हुआ. सबसे पहले 23 मई 1999 को राजधानी लखनऊ के लालबाग चौराहे पर तब के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने महाराजा सुहेलदेव राजभर की प्रतिमा बनवाई थी.

CM योगी के प्रयासों से जित्तौरा गांव में बना महाराजा सुहेलदेव का मंदिर

मई 2004 में बहराइच में महाराजा सुहेलदेव सेवा समिति का गठन किया गया था. जिसमें उस समय के गोरखपुर के भाजपा सांसद व वर्तमान में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में पांच दिवसीय समारोह का आयोजन किया गया था. समिति ने जित्तौरा गांव में सुहेलदेव का एक मंदिर भी बनवाया था, जहां हर साल मेले का आयोजन भी शुरू हुआ. भाजपा ने हमेशा से ही महाराजा सुहेलदेव राजभर को अपना आदर्श मानाय यही कारण है कि यूपी भाजपा कार्यालय पर महापुरुषों के साथ सुहेलदेव राजभर के चित्र को भी लगाया गया है. भाजपा के राष्ट्रीय रहते हुए अमित शाह ने 24 फरवरी 2016 को, बहराइच में महाराजा सुहेलदेव राजभर की प्रतिमा का अनावरण किया था.

मोदी सरकार ने चलाई सुहेलदेव एक्सप्रेस ट्रेन

9 अप्रैल 2016 को मोदी सरकार ने सुहेलदेव एक्सप्रेस के नाम से एक नई ट्रेन चलाने की घोषणा की थी. यह ट्रेन पूर्वी यूपी को राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से जोडने के लिए जलाई गई थी, जो 13 अप्रैल 2016 से गाजीपुर से आनंदविहार के बीच संचालित हो रही है. इसी तरह पीएम मोदी ने राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव राजभर के सम्मान में, 29 दिसंबर 2018 को गाजीपुर में उनके नाम का डाक टिकट भी जारी किया था. साथ ही पीएम मोदी ने 29 दिसंबर 2018 को गाजीपुर में महाराजा सुहेलदेव के नाम पर एक डाक टिकट भी जारी किया था.

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में महाराजा सुहेलदेव का जिक्र

22 जनवरी 2024 को संपन्न हुई राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने महाराजा सुहेलदेव के योगदान को भी याद किया. पीएम ने कहा कि विदेशी आक्रांताओं को खदेड़ने में राजा सुहेलदेव ने बड़ी भूमिका निभाई थी, उन्होंने गरीब व पिछड़े समाज के लोगों को अपने साथ जोड़कर आक्रांताओं का मुकाबला किया.

PM मोदी ने 2021 में रखी थी सुहेलदेव स्मारक की नींव

सीएम योगी ने बीते 10 जून 2025 को जिस सुहेलदेव स्मारक और उनकी मूर्ति का अनावरण किया है, पीएम मोदी ने उसकी नींव 16 फरवरी, 2021 को रखी थी. स्मारक का निर्माण उसी चित्तौरा झील में हुआ है, जहां आज से 1 हजार साल पहले सुहेलदेव ने सालार मसूद गाजी को मार गिराया था. 40 करोड़ की लागत से सुहेलदेव राजभर की 40 फीट ऊंची कांस्य मूर्ति, संग्रहालय, पार्क, सभागार, पार्किंग और कैफे का निर्माण किया गया है.

 CM योगी ने किया स्मारक का उद्घाटन

16 फरवरी, 2021 को पीएम मोदी ने महाराजा सुहेलदेव जी के जिस स्मारक व मूर्ति निर्माण की आधारशिला रखी थी, करीब 4 साल बाद सीएम योगी ने उसी स्मारक और मूर्ति का अनावरण किया है. साथ ही सीएम योगी ने यह भी कहा है कि बहराइच की धरती पर विदेशी आक्रांता सालार मसूद गाजी के नाम पर नहीं, बल्कि राष्ट्रवीर महाराजा सुहेलदेव राजभर के नाम से मेला लगेगा.

आजमगढ़ मे महाराजा सुहेलदेव यूनिवर्सिटी का निर्माण

गृहमंत्री अमित शाह व सीएम योगी ने 13 नवंबर 2021 को आजमगढ़ में महाराजा सुहेलदेव यूनिवर्सिटी की नींव रखी थी. जिसका शुभारंभ पीएम मोदी ने 9 मार्च 2024 को किया था. यह विश्नविद्यालय 14.5 एकड़ में 10805. 45 करोड़ की लागत से बना है. जिसमें अस्पताल, जिम सेंटर, शॉपिंग मॉल, डाकघर, बैंक, पुलिस चौकी आदि कई सुविधाएं हैं.

यह भी पढ़ें: देश की सेवा, अखंडता और समरसता के लिए संघ जो कर रहा है, वह किसी दूसरे संगठन ने नहीं किया: अरविंद नेताम

Tags: BahraichCm YogiMaharaja Suheldev RajbharSalar Masood GhaziStatue of Maharaja Suheldev Rajbhar
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