लखनऊ: साध्वी ऋतंभरा को 27 मई 2025 को राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें समाजसेवा के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया गया। साध्वी ऋतंभरा एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने हिंदू धर्म, सनातन संस्कृति और समाजसेवा के क्षेत्र में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। साध्वी ऋतंभरा ने न केवल हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि वृंदावन में स्थापित वात्सल्य ग्राम के माध्यम से अनाथ बच्चों, युवा लड़कियों और वृद्ध महिलाओं के कल्याण के लिए अनुकरणीय कार्य किया।
वात्सल्य ग्राम: करुणा और सशक्तीकरण का अनूठा मॉडल
वृंदावन में वर्ष 2001 में स्थापित वात्सल्य ग्रामसाध्वी ऋतंभरा की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। यह एक गैर-सरकारी संगठन है, जो अनाथ बच्चों, बेसहारा युवा लड़कियों और वृद्ध महिलाओं के कल्याण के लिए समर्पित है। वात्सल्य ग्राम केवल एक आश्रम नहीं, बल्कि एक ऐसा परिवार है जहां करुणा, प्रेम और सशक्तीकरण का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
पारिवारिक मॉडल
वात्सल्य ग्राम का मॉडल पारंपरिक दान या कल्याण से कहीं आगे है। यहां प्रत्येक घर को “मौसी” (चाची) और “नानी” (दादी) द्वारा संचालित किया जाता है, जो स्वयं अभावों से उबरी महिलाएं हैं। यह मॉडल बच्चों को मातृस्नेह और बुजुर्गों को सम्मान प्रदान करता है। इस अनूठे ढांचे में बच्चे, युवा और वृद्ध एक परिवार के रूप में एक साथ रहते हैं, जो सामाजिक एकता और पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देता है।
शिक्षा और कौशल विकास
वात्सल्य ग्राम में सैकड़ों बच्चों को मुफ्त शिक्षा, आवास और भोजन प्रदान किया जाता है। यहां बच्चों को न केवल औपचारिक शिक्षा दी जाती है, बल्कि उनके समग्र विकास के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण और अन्य अवसर भी उपलब्ध कराए जाते हैं। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जो उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाते हैं।
वात्सल्य ग्राम का उद्देश्य
वात्सल्य ग्राम का उद्देश्य है कि “ज्ञान का उजाला हर बालक का हक़” है और शिक्षा केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि उज्जवल भविष्य की पहली सीढ़ी है। यह संस्था हर बच्चे के लिए शिक्षा को न केवल एक अधिकार, बल्कि एक उज्जवल भविष्य की पहली सीढ़ी मानती है, जिसके माध्यम से ज्ञान का उजाला प्रत्येक बालक तक पहुंचे।
बच्चों की शिक्षा: अनाथ और गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा, आवास और भोजन प्रदान कर उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करना, ताकि वे आत्मनिर्भर और सशक्त बन सकें।
महिलाओं का सशक्तीकरण: बेसहारा युवा लड़कियों और वृद्ध महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण और अन्य सहायता के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना, जिससे वे समाज में सम्मान और स्वावलंबन के साथ जी सकें।
गौसेवा और धार्मिक स्थलों की देखभाल: सनातन संस्कृति के संरक्षण के लिए गौसेवा और धार्मिक स्थलों के रखरखाव को बढ़ावा देना।
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में स्थान
वात्सल्य ग्राम की अनूठी संरचना और सामाजिक योगदान के लिए इसे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में स्थान प्राप्त हुआ है। प्रवासी हिंदू समुदाय से इसे महत्वपूर्ण दान भी प्राप्त हुआ है, जो साध्वी ऋतंभरा की समाजसेवा के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
सनातन परंपरा की झलक: श्री सर्वमंगला पीठम्
वात्सल्य ग्राम में सनातन परंपरा को जीवंत रखने के लिए मां भगवती का मंदिर स्थापित किया गया है। इसके अतिरिक्त, साध्वी ऋतंभरा की प्रेरणा से वृंदावन में “श्री सर्वमंगला पीठम्” का निर्माण कार्य प्रगति पर है। यह 150 करोड़ की परियोजना विश्व का सबसे विराट सांस्कृतिक तीर्थ बनने की दिशा में अग्रसर है। यह पीठ चार युगों में नारी के योगदान का प्रतीक है— सतयुग की सरस्वती, त्रेतायुग की सीता, द्वापर की द्रौपदी और कलियुग की साध्वी शक्ति का संगम। यह केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि नारी के समर्पण, साहस और संस्कारों का महायज्ञ है। यह भारत की आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक होने के साथ-साथ समस्त मानवता के लिए मार्गदर्शक दीपस्तंभ बनेगा।
विश्वस्तरीय हिंदू संग्रहालय की स्थापना
साध्वी ऋतंभरा वृंदावन में एक विश्वस्तरीय हिंदू संग्रहालय की स्थापना पर कार्य कर रही हैं, जिसका उद्देश्य हिंदू दर्शन, इतिहास और महिलाओं की भूमिका को प्रदर्शित करना है। यह संग्रहालय सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
हिंदू शरणार्थियों का समर्थन
यही नहीं, साध्वी ऋतंभरा ने हिंदू शरणार्थियों, विशेष रूप से उत्पीड़न से बचकर आए लोगों के लिए पुनर्वास और आवास की व्यवस्था की है। दिल्ली के वजीराबाद सिग्नेचर ब्रिज के पास उन्होंने परम शक्तिपीठ के माध्यम से पाकिस्तान से आए विस्थापित हिंदुओं के लिए 25 घर बनवाए, जिनमें बिजली और पानी की समुचित व्यवस्था की गई है। यह कार्य उनकी मानवीय संवेदना और सामाजिक दायित्व को दर्शाता है।
अंतरराष्ट्रीय सम्मान
साध्वी ऋतंभरा को उनके कार्यों के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मान प्राप्त हुआ है। उन्हें ह्यूस्टन और पर्ल लैंड के मेयर, टेक्सास के दो मेयरों के कार्यालय, लॉस एंजिल्स काउंटी और अमेरिका में भारत के महावाणिज्य दूतावास द्वारा सम्मानित किया गया है। यह सम्मान उनके वैश्विक प्रभाव और समाजसेवा के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
‘पद्म भूषण’ साध्वी ऋतंभरा ने हिन्दू पुनर्जागरण को समर्पित किया जीवन
हिंदू धर्म के प्रति समर्पण साध्वी ऋतंभरा ने हिंदू धर्म और सनातन संस्कृति के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। 1980 और 1990 के दशक में वे राम जन्मभूमि आंदोलन की प्रमुख हस्ती रहीं। उन्होंने विश्व हिंदू परिषद (VHP) के मंच से हिंदुत्व पर अपने विचारों को दृढ़ता से रखा और श्री राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति की सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2024 में अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में उनकी उपस्थिति ने उनके इस आंदोलन के प्रति समर्पण को और उजागर किया।
1991 में दुर्गा वाहिनी की स्थापना की थी
1991 में, उन्होंने विश्व हिंदू परिषद के तहत दुर्गा वाहिनी की स्थापना की, जो हिंदू महिलाओं को आत्मविश्वास, अनुशासन और राष्ट्रीय कर्तव्य की भावना से प्रेरित करने का एक मंच है। इसका आदर्श वाक्य है – सेवा, सुरक्षा, और संस्कार। दुर्गा वाहिनी के माध्यम से महिलाओं को आत्मरक्षा प्रशिक्षण और नेतृत्व कार्यक्रमों के जरिए सशक्त बनाया जाता है।हिंदू संग्रहालय: साध्वी ऋतंभरा वृंदावन में एक विश्वस्तरीय हिंदू संग्रहालय की स्थापना पर कार्य कर रही हैं, जिसका उद्देश्य हिंदू दर्शन, इतिहास और महिलाओं की भूमिका को प्रदर्शित करना है।
प्रारंभिक जीवन: आध्यात्मिक साधक से राष्ट्रवादी नेता तक
साध्वी ऋतंभरा का जन्म 1964 में पंजाब के लुधियाना जिले के मंडी दोराहा गांव में हुआ था। उनका मूल नाम निशा था। कॉलेज शिक्षा पूरी करने के बाद, एक साधारण परिवार में जन्मी निशा ने कम उम्र में ही आध्यात्मिकता के प्रति गहरी रुचि दिखाई। सोलह वर्ष की आयु में, हरिद्वार के संत स्वामी परमानंद गिरी से प्रभावित होकर उन्होंने सन्यास लिया और साध्वी ऋतंभरा हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में सक्रिय हो गईं।
उनके प्रारंभिक प्रशिक्षण में रामायण, भगवद गीता, और अन्य हिंदू शास्त्रों का गहन अध्ययन शामिल था, जिसने उनकी आध्यात्मिक साक्षरता को मजबूत किया। स्वामी परमानंद के मार्गदर्शन में, उन्होंने हिंदू दर्शन की गहरी समझ विकसित की और इसे जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया। यह आध्यात्मिक नींव बाद में उनके सामाजिक और राष्ट्रवादी कार्यों का आधार बनी। 1980 के दशक में, वे विश्व हिंदू परिषद (VHP) से जुड़ीं, जहां उनके ओजस्वी भाषणों ने उन्हें एक प्रभावशाली आध्यात्मिक और राष्ट्रवादी नेता के रूप में स्थापित किया।
साध्वी ऋतंभरा का नाम लिबरहान आयोग की रिपोर्ट में बाबरी मस्जिद विध्वंस के संदर्भ में आया था, और उन पर 1991 में दिल्ली पुलिस द्वारा उत्तेजक भाषणों के लिए मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, 2020 में उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया। उनके कुछ भाषणों और बयानों को लेकर विवाद भी रहा है, विशेष रूप से राम जन्मभूमि आंदोलन और हिंदुत्व से संबंधित उनके विचारों को लेकर।