अयोध्या: CM योगी अयोध्या वासियों को राम पथ, भक्ति पथ और जन्मभूमि पथ के बाद अब एक और नई सौगात देने वाले हैं. जल्द ही जिले में भरत पथ का निर्माण भी होने वाला है. भरत पथ रानोपाली से भरत कुंड तक बनना प्रस्तावित है. इसकी लंबाई करीब 20 किलोमीटर होगी. इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 900 करोड़ रुपए है. लोक निर्माण विभाग ने परियोजना का प्रस्ताव मुख्यालय को भेज दिया है. ये नया पथ (मार्ग) भगवान राम के छोटे भाई भरत की तपोस्थली भरतकुंड को तीर्थ स्थल से जोड़ेगा. ऐसे में यहां आने वाले श्रद्धालुओं को न केवल दर्शन-पूजन में और अधिक सुविधा मिल सकेगी, बल्कि उनके लिए यातायात के दृष्टिकोण से भी सुरक्षित और व्यवस्थित रहेगा.
भरतकुंड का इतिहास-
नंदीग्राम में स्थित भरत कुंड की मान्यता है कि भगवान श्री राम जब 14 वर्षों के वनवास पर गए थे, तब उनके लौटने तक भरत जी ने 14 सालों तक इसी स्थान पर तपस्या की थी. जब प्रभु श्री राम वनवास से वापस लौट कर आए तब इसी स्थान पर वो अपने अनुज भाई भरत से मिले थे. एक मान्यता ये भी है कि नंदीग्राम में ही प्रभु श्रीराम ने अपने पिता दशरथ के पिंडदान के लिए कुंड का निर्माण कराया था, जिसे आज भरत कुंड के नाम से जाना जाता है. पितृपक्ष के समय बड़ी संख्या में लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिये यहां आते हैं.
भरत कुंड में हुई थी हनुमान जी और भरत की मुलाकात-
कहा जाता है कि भरत कुंड वो स्थान है, जहां भगवान श्रीराम के छोटे भाई भरत और हनुमान जी की भी मुलाकात हुई थी. लोगों का कहना है कि जब हनुमान जी लक्ष्मण के लिए संजीवनी बूटी लेकर अयोध्या के रास्ते वापस जा रहे थे, तब भरत को लगा कि कोई असुर अयोध्या पर हमला करना चाहता है. तब उन्होंने अपने धनुष से बांड़ छोड़ा. ये बांड़ हनुमान जी को जा लगा और वो मूर्छित हो इसी स्थान पर गिर गए. जब भरत को ये पता चला कि ये भगवान श्रीराम के पास जा रहे है तब उन्हें अफसोस हुआ और एक बांड़ पर हनुमान को बिठा तेज गति से उन्हें लंका की ओर भेज दिया.
भरत कुंड में बने कुएं डाला गया था 27 तीर्थ का जल-
कुछ लोगों की मान्यता ये भी है कि जब भगवान श्री राम का राज्याभिषेक होना था, तब भरत जी 27 तीर्थ के जल लेकर आए थे. आधा जल उन्होंने चित्रकूट में बने कुएं में डाल दिया था और बाकी जल भरत कुंड में बने कुएं में डाल दिया था. ये कुआं इस स्थान पर आज भी मौजूद है. इसी कुएं के पास सदियों पुराना वटवृक्ष भी है, जिसके लिए कहा जाता है कि अगर हम इसकी डालियों को ध्यान से देखते हैं तो हमें देवताओं की छवि के दर्शन होते हैं.
भरत मार्ग की खासियत-
अयोध्या में बनवाए जा रहे भरत पथ की लंबाई लगभग 20 किलोमीटर होगी. ये मार्ग राम पथ के किनारे रानोपाली रेलवे क्रॉसिंग से शुरू होकर विद्याकुंड और दर्शन नगर होते हुए प्रयागराज राजमार्ग पर भरतकुंड तक जाएगा. अभी में ये सड़क मार्ग दो-लेन का है. सड़क के दोनों ओर 9-9 मीटर चौड़ाई होगी. साथ ही बीच में 2.5 मीटर का डिवाइडर भी बनाया जाएगा. इस डिजाइन से न केवल सड़क मार्ग का रास्ता आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सहूलियत भरा होगा, बल्कि यातायात के दृष्टिकोण से भी काफी सुरक्षित और व्यवस्थित रहेगा. जानकारी के मुताबिक भरत पथ का निर्माण राम पथ की तर्ज पर ही कराया जाएगा, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक भाव का अनुभव प्रदान करेगा.
आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा भरत पथ-
अयोध्या में बनने वाला भरत पथ पर दूधिया रोशनी वाली लाइटिंग की व्यवस्था की जाएगी. CCTV कैमरे और वाई-फाई की सुविधा भी होगी. ऐसे में यहां आने वाले श्रद्धालुओं को इसका काफी लाभ मिलेगा. वहीं, CCTV कैमरे से संदिग्ध गतिविधियों पर भी नजर रखी जा सकेगी. इस पथ के बनने से यहां आने वाले श्रद्धालुओं को इससे काफी लाभ मिलेगा. इस मार्ग के बनने के बाद प्रयागराज जाने का रास्ता काफी सुलभ हो जाएगा. भरत पथ 20 मीटर चौड़ा होगा जो कि राम पथ की तरह भव्य होगा. भरत पथ के बन जाने बाद अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं को सुगम यात्रा की अनुभूति होगी. श्रद्धालुओं को अयोध्या के प्रमुख तीर्थ स्थलों तक आसानी से पहुंचने के लिए ये पथ काफी मददगार साबित होगा. योगी सरकार भीड़ नियंत्रण और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अयोध्या के 84 कोस की परिधि में आने वाले सभी महत्वपूर्ण स्थलों को विकसित करने की योजना पर काम कर रही है.
धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा-
अयोध्या में भरत पथ बनने के बाद यहां धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही अयोध्या की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरास भी काफी मजबूत होगी. यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या में और भी बढ़ोत्तरी होगी. अयोध्या वासियों का कहना है कि CM योगी भगवान राम की जन्म स्थली को इस तरह से विकसित कर रहे हैं, जिससे यहां आने वाले लोगों को भक्ति का माहौल मिलेगा. साथ ही उन्हें त्रेता युग की अनुभूति होगी. लोग आध्यात्मिक माहौल का अनुभव करेंगे. भरत पथ के बनने के बाद अयोध्या की अर्थव्यवस्था और भी अधिक बढ़ जाएगी. पर्यटन, रोजगार के अवसर और स्थानीय व्यवसायों के विकास में बढ़ोत्तरी होने से अयोध्या की आर्थिक स्थिति और भी अधिक मजबूत होगी.