नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल को आतंकवादियों ने पहलगाम घूमने आए बेगुनाह पर्यटकों को उनका धर्म पूछकर उनकी हत्या कर दी थी. आतंकियों की इइ कायराना हरकत से अलग-अलग प्रांतों और 2 विदेशियों समेत 26 हिंदुओं की जान चली गई थी. पर्यटकों के साथ हुई बर्बरतापूर्ण हरकत के बाद भारत और आतंकियों को पैदा करने वाले पाकिस्तान के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है. ऐसे में दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए हैं. पाकिस्तान से बढ़ते तनाव को देखते हुए हुए केंद्र सरकार 7 मई दिन बुद्धवार को सभी राज्यों के 244 जिलों में मॉकड्रिल करने जा रही है. इसका मकसद किसी भी अपात स्थिति में देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. हालांकि इस तरह की मॉक ड्रिल पिछली बार साल 1971 में हुई थी. उस समय पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ था.
दरअसल, पहलगाम में हुए नरसंहार के बाद से देशभर के लोगों में आक्रोश है. लोग आतंक का गढ़ कहे जाने वाले पाकिस्तान के खिलाफ इस बार सर्जिकल और एयर स्ट्राइक से बड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, जिससे पाकिस्तान को हमेशा के लिए सीख मिल सके. वहीं, PM मोदी ने भी सभी देश वासियों आश्वस्त किया है कि जिस तरह की कार्रवाई की मांग लोग कर रहे हैं, पाकिस्तान के खिलाफ ठीक वैसी ही कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए PM मोदी ने बेगुनाहों हिंदू पर्यटकों की जान लेने वाले गुनहगारों से प्रतिशोध लेने के लिए देश की तीनों सेनाओं को खुली छूट दे दी है. वहीं, तीनों सेनाएं आगे के लिए अपनी-अपनी तैयारियों से PM मोदी को लगातार अवगत करा रही हैं. केंद्र सरकार 7 मई को सभी राज्यों के 244 जिलों में मॉक ड्रिल कराने जा रही है. इसका मकसद युद्ध के हालात के लिए लोगों को तैयार करना है, जिससे लोग अपनी और दूसरों की सुरक्षा कर सकें.
क्यों हो रही मॉकड्रिल?
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार तनाव बढ़ता जा रहा है. हालांकि केंद्र सरकार की ओर से अब तक पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए जा चुके हैं. भारत की ओर से सिंधु जल समझौता खत्म कर दिया गया है. इसके तहत पाकिस्तान की ओर जाने वाले चिनाब नदी के पानी को रोक दिया गया है और झेलम नदी का पानी रोकने की प्लानिंग हो रही है. अटारी बॉर्डर को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंध कम कर दिए गए हैं. सभी तरह के व्यापार पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है. साथ ही भारतीय हवाई क्षेत्र में आने वाले सभी पाकिस्तानी विमानों का आना प्रतिबंधित कर दिया गया है. भारत की इस कार्रवाई के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति बन गई है. इसीलिए 7 मई को मॉक ड्रिल की होने जा रही है.
मॉकड्रिल में होने वाली गतिविधियां-
गृह मंत्रालय के आदेश में लिखा है कि हवाई हमले की चेतावनी सायरनों को जांचा जाए. इस जांच में ये देखा जाएगा कि वो ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं. साथ ही लोगों को इस मॉक ड्रिल के बारे में भी बताया जाए. नागरिकों और छात्रों को इसके बारे में ट्रेंड किया जाए. आपात स्थितियों में खुद का बचाव कैसे करें, इसके लिए भी उन्हें तकनीकी रूप से प्रशिक्षित किया जाए. ब्लैकआउट प्रोटोकॉल फॉलो किया जाए. रात के समय बिजली बंद करने की प्रक्रिया यानी कि क्रैश ब्लैकआउट का अभ्यास किया जाएगा. जिससे दुश्मन की निगाह से बचा जा सके. बिजली संयंत्रों, सरकारी कार्यालयों और सैन्य प्रतिष्ठानों जैसे महत्वपूर्ण ढांचों को छिपाने के लिए महत्वपूर्ण तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए. आपातकालीन परिस्थिति में लोगों को सुरक्षित निकालने की तैयार की गई प्लानिंग की जांच और उसे होने वाले सुधार किए जाएं. इंडियन एयरफोर्स की ओर से हॉटलाइन पर और रेडियो पर मिल रहे संदेशों को लगातार ध्यानपूर्वक सुना जाए.
मॉक ड्रिल क्या होती है?-
“मॉक ड्रिल” एक ऐसा परिदृश्य है, जिसमें प्रतिभागी अभ्यास करते हैं कि आपदा या आपातकाल की स्थिति में वे कैसे प्रतिक्रिया करेंगे. दुनिया भर के स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों, अपार्टमेंट, उद्योगों और संगठनों में सुरक्षा की दृष्टि से मॉक ड्रिल आयोजित की जाती हैं. दरअसल, मॉक ड्रिल एक तरह का अभ्यास है, जिसका उपयोग किसी संगठन की तत्परता का आकलन करने और समस्या वाले क्षेत्रों की पहचान करने के लिए किया जाता है. मॉक ड्रिल एक नियमित प्रशिक्षण अभ्यास है, जिसका उपयोग सुरक्षा प्रशिक्षकों द्वारा कर्मचारियों को तैयार करने के लिए किया जाता है. इन अभ्यासों में शामिल होकर, कर्मचारी किसी भी आपात स्थिति का जवाब देने के लिए अपनी तत्परता बनाए रखते हैं.
मॉक ड्रिल के फायदे-
मॉक ड्रिल का उपयोग आपातकालीन परिस्थितियों के लिए कर्मचारियों की प्रतिक्रियाओं का आकलन करने और विधि या प्रणाली में किसी भी दोष की पहचान करना है. साथ ही ये भी निर्धारित करनना है कि संगठन के कर्मचारी इस तरह की घटना के लिए तैयार हैं या नहीं. दरअसल, भविष्य में होने वाली आपदाओं और संकटों के लिए तैयारी करके जान और माल की क्षति को रोका जा सकता है. ये सबसे महत्वपूर्ण है कि किसी भी व्यक्ति को आपात स्थिति में सुरक्षा उपायों का अभ्यास जरूर करना चाहिए, फिर वो चाहे छात्र हों या कोई भी कामकाजी व्यक्ति. वास्तव में, जो संगठन सख्त सुरक्षा नियमों और प्रक्रियाओं का पालन नहीं करते हैं, उन्हें गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है.
1971 में हुई थी मॉकड्रिल-
1971 में मॉक ड्रिल्स पूरे देश में आयोजित की गई थीं, लेकिन खास तौर पर उन इलाकों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया गया जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण थे या फिर पाकिस्तान की सीमा से सटे थे. भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध की शुरुआत से पहले मॉक ड्रिल्स की गई थी. बताया जाता है कि ये मॉक ड्रिल युद्ध से 2-4 दिन पहले शुरू हुई थी और युद्ध की समाप्ति तक जारी रही थी. इस मॉक ड्रिल का उद्देश्य जनता को युद्ध की स्थिति को लेकर जागरूक करना था. तब देश की कमान PM दिवंगत इंदिरा गांधी के हाथों में थी. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सिविल डिफेंस ड्रिल आयोजित करने का आदेश दिया था. इसमें एयर रेड सायरन यानी हवाई हमलों की चेतावनी, ब्लैक आउट और लोगों को शेल्टर में ले जाने का प्रयास शामिल था. इसके लिए संचार के माध्यमों और सबसे ज्यादा आकाशवाणी से संदेश प्रसारित किए जाते थे.
1971 से पहले भारतीय सेना में सुधार:
1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद भारतीय सेना में मुख्यत: सैन्य क्षमता और आधुनिक हथियार प्रणालियों को बढ़ाने पर जोर दिया गया था. साल 1971 में पाकिस्तान युद्ध से पहले भारतीय सेना में संगठनात्मक सुधार किए गए, जिसमें नई सैन्य टुकड़ियों और डिवीजनों का गठन शामिल था. सेना को पश्चिमी देशों से उन्नत हथियार और उपकरण प्रदान किए गए, जैसे कि टी-55 टैंक और गनहोर्स हॉवित्जर. सैनिकों को उन्नत सैन्य प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें पैदल सेना, आर्टिलरी और टैंक युद्ध शामिल थे. भारतीय वायु सेना को आधुनिक विमान प्रदान किए गए, जैसे कि मिग-21 और एच-32. साथ ही पायलटों को बेहतर प्रशिक्षण दिया गया. वहीं, भारतीय नौसेना को आधुनिक जहाजों और पनडुब्बियों से लैस किया गया, जैसे कि पनडुब्बी शार्क क्लास.
वर्तमान की भारतीय सेना में सुधार
वर्तमान की भारतीय सेना में आधुनिक तकनीक लगातार उपयोग किया जा रहा है, जैसे कि ड्रोन, साइबर युद्ध और कृत्रिम बुद्धिमत्ता. भारतीय सेना को स्वदेशी रूप से निर्मित हथियार और उपकरण प्रदान किए गए हैं, जैसे कि तेजस विमान और अर्जुन टैंक. तीनों सेनाओं यानी कि जल, थल और वायु सेना के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जा रहा है. भारतीय सेना को साइबर युद्ध और साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटने के लिए तैयार किया जा रहा है. वहीं, बात करें अगर अंतरराष्ट्रीय संबंध की तो भारतीय सेना लगातार अंतरराष्ट्रीय सहयोग और अभ्यास में भाग ले रही है, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन.