सीतापुर: नैमिषारण्य, गोमती नदी के तट पर बसी 88 हजार ऋषि-मुनियों की पावन तपोभूमि. इसके विकास को लेकर वर्ष 2023 में महात्मा गांधी की जयंती के एक दिन पहले सीएम योगी ने वहां के साधु-संतों से मुलाकात की थी. उसी समय उन्होंने घोषणा की थी कि तीर्थ क्षेत्र नैमिष के विकास में धन की कमी नहीं होने दी जाएगी. पूरे क्षेत्र का कायाकल्प कुछ इस तरह होगा कि धर्म एवं अध्यात्म की यह धरती पर्यटन के केंद्र के रूप में भी उभरे. सीएम ने तो यहां तक कहा था कि मेरा प्रयास यह होगा कि नैमिष का विकास अयोध्या से भी बेहतर हो.
वैदिक सिटी के रूप में विकसित होगा नैमिषारण्य
नैमिषारण्य तीर्थ परिषद के गठन के पीछे योगी सरकार की मंशा इस तीर्थ स्थल के नियोजित विकास की रही है. इसके तहत नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र में नए घाट का निर्माण होगा. यह घाट राजघाट और दशाश्वमेध घाट के बीच होगा. वहीं, पुराने घाटों का भी जीर्णोद्धार, सौंदर्यीकरण होना है. इनमें से कई काम हो चुके हैं और कुछ पर काम जारी है. मुख्यमंत्री का मानना है कि जैसे अयोध्या में पर्यटकों श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी वैसे-वैसे नैमिषारण्य का भी आकर्षण बढ़ेगा.
जल्द शुरू होगी हेलीकॉप्टर सेवा
नैमिषारण्य शीघ्र ही प्रदेश की राजधानी और अन्य प्रमुख धार्मिक शहरों, खासकर अयोध्या एवं वाराणसी से हेलिकाप्टर सेवा से जुड़ जाएगा. ठाकुरनगर रुद्रावर्त धाम मार्ग के किनारे नौ करोड़ रुपये की लागत से हेलीपोर्ट बनकर तैयार है. यहां एक साथ तीन हेलीकॉप्टर्स की लैंडिंग हो सकेगी. औपचारिकताएं पूरी होने के बाद इसकी सेवाएं उपलब्ध होने लगेंगी. रेल और सड़क कनेक्टिविटी को भी और बेहतर बनाया जाएगा.
यहीं लिखे गए थे पुराण
बता दें कि पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि यहीं पर महापुराण लिखे गए और यहीं पर पहली बार सत्यनारायण की कथा की गई थी. इस धाम का इतिहास रामायण से भी जुड़ा है. यहीं पर भगवान श्रीराम ने अश्वमेध यज्ञ पूरा किया था. इस जगह का संबंध महर्षि वाल्मीकि, लव-कुश से भी रहा है. साथ ही महाभारत काल में युधिष्ठिर और अर्जुन भी यहां आए थे. नैमिषारण्य की यात्रा के बिना चार धाम की यात्रा भी अधूरी मानी जाती है.