लखनऊ: कुछ साल पहले तक, जब भी देश में औद्योगिक निवेश की बात होती थी, तो दक्षिण भारत के राज्य जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश कंपनियों की पहली पसंद हुआ करते थे. मजबूत बेसिक इन्फ्रस्ट्रक्चर, उच्च शिक्षित जनसंख्या और समुद्री बंदरगाहों की निकटता इन सभी कारणों से दक्षिण भारत निवेशकों को ज्यादा भाता था. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह परिदृश्य तेजी से बदलता हुआ नजर आ रहा है. अब देश की बड़ी और विदेशी कंपनियां गैर-भाजपा शासित राज्यों से दूरी बनाकर भाजपा शासित राज्यों, खासकर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात की ओर तेजी से बढ़ रही हैं.
Dassault Aviation ने तमिलनाडु से UP की ओर रुख
डसॉल्ट एविएशन, जो फ्रांस की प्रमुख रक्षा और एविएशन कंपनी है, उसने भारत में अपने MRO (मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहॉल) हब के लिए शुरुआत में तमिलनाडु को चुना था. लेकिन फिर अचानक उत्तर प्रदेश सरकार ने कंपनी को एक ऐसा प्रस्ताव दिया. जिसमें निवेश के लिए ज़मीन, FDI सब्सिडी और बुनियादी सहयोग शामिल था और अब कंपनी नोएडा के जेवर एयरपोर्ट के पास अपना MRO सेंटर और स्किल यूनिवर्सिटी बना रही है. यह सिर्फ एक कंपनी की कहानी नहीं है, यह उस बदलाव का संकेत है जो UP में औद्योगिक निवेश के नक्शे को खींच रहा है.
कंपनियां गैर-भाजपा शासित राज्यों से किनारा क्यों कर रहीं?
आज Foxconn, Tata टेक्नोलॉजी, हीरानंदानी, Greenco, Sify, Ikea जैसी नामी कंपनियां UP, MP, गुजरात, महाराष्ट्र और हरियाणा जैसे भाजपा शासित राज्यों में भारी निवेश कर रही हैं. इसके पीछे कुछ स्पष्ट कारण हैं. जैसे पहला केंद्र में भाजपा शासन होने से भाजपा शासित राज्यों का केंद्र सरकार से बेहतर समन्वय होता है चूंकि इनके बीच कोई राजनीतिक विचारधारा की लड़ाई नहीं होती. जिससे भूमि अधिग्रहण, पर्यावरणीय मंजूरी, बिजली, पानी और लॉजिस्टिक्स जैसी जरूरतें तेजी से पूरी होती हैं.
दूसरा उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने कंपनियों को आकर्षित करने के लिए उदार प्रोत्साहन नीति अपनाई है. डसॉल्ट के मामले में यूपी सरकार ने 12 करोड़ की सब्सिडी दी, जो तमिलनाडु जैसे गैर भाजपा राज्यों की तुलना में कहीं ज्यादा आकर्षक रही. वहीं तीसरा बड़ी कंपनियां निवेश करने से पहले यह देखती हैं कि सरकार कितनी स्थिर और निर्णायक है. भाजपा शासित राज्यों में एक स्थिर नेतृत्व और “डबल इंजन सरकार” की धारणा ने निवेशकों को आश्वस्त किया है.
चौथा यूपी जैसे राज्य अब हाईवे, एयरपोर्ट, इंडस्ट्रियल पार्क और डेटा सेंटर जैसे प्रोजेक्ट्स पर युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं. जेवर एयरपोर्ट, यमुना एक्सप्रेसवे, डिफेंस कॉरिडोर ये सभी निवेशकों को आकर्षित करने के बड़े कारण हैं.
गैर-भाजपा राज्यों में क्यों घट रही है रुचि?
दूसरी ओर, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल जैसे गैर भाजपा शासित राज्यों में निवेश की रफ्तार धीमी होती जा रही है. इसके पीछे तीन प्रमुख कारण है. पहला राजनीतिक अस्थिरता या राजनीतिक लाभ के लिए केंद्र से टकराव की स्थिति बनी रहना. दूसरा उद्योगों को लेकर स्पष्ट नीति की कमी होना और तीसरा प्रशासनिक अड़चनें और लंबे समय तक फाइलों का लंबित रहना है. यही कारण है कि निवेशक अब उन राज्यों को प्राथमिकता दे रहे हैं जहाँ वे बिना राजनैतिक या प्रशासनिक तनाव के तेज़ी से काम कर सकें.
Foxconn की नोएडा में 300 एकड़ में यूनिट
निवेश की दिशा में Foxconn, जो एप्पल के लिए सबसे बड़ा कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर है, वह भी अब उत्तर प्रदेश की ओर रुख कर चुकी है। पहले जहां उसकी इकाइयाँ तमिलनाडु और तेलंगाना में थीं, अब वह ग्रेटर नोएडा में 300 एकड़ जमीन खरीदने की प्रक्रिया में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह यूनिट बेंगलुरु से भी बड़ी हो सकती है.
क्या यह “नया भारत” के निवेश का नया चेहरा है?
जिस प्रकार से कंपनियां दक्षिण से उत्तर भारत की ओर और गैर भाजपा से भाजपा शासित राज्यों की ओर शिफ्ट हो रही हैं, वह केवल कारोबारी निर्णय नहीं, बल्कि यह देश में बदलती आर्थिक भू-राजनीति का संकेत भी है. यह ट्रेंड बताता है कि अगर किसी राज्य को उद्योग, निवेश और रोजगार का केंद्र बनना है, तो उसे सिर्फ संसाधन ही नहीं, बल्कि राजनीतिक स्थिरता, निर्णायक नेतृत्व और बिजनेस-फ्रेंडली माहौल भी देना होगा.
कभी औद्योगिक दृष्टिकोण से पिछड़ा माना जाता था UP
उत्तर प्रदेश जो कभी औद्योगिक दृष्टिकोण से पिछड़ा माना जाता था, अब डिफेंस, टेक्नोलॉजी, डेटा सेंटर और मैन्युफैक्चरिंग का नया गढ़ बनता जा रहा है. इससे ये साफ है निवेश वहीं जाएगा जहाँ स्पष्ट नीति, स्थिर नेतृत्व और केंद्र के साथ समन्वय हो। और इस रेस में भाजपा शासित राज्य फिलहाल सबसे आगे दिखाई दे रहे हैं.