अयोध्या: प्रभू श्रीराम के मंदिर के निर्माण कार्य में अब तेजी आ चुकी है. योगी सरकार की देखरेख में यह ऐतिहासिक मंदिर अब अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने जानकारी दी कि मंदिर के पहले तल पर राम दरबार और परकोटे में छह प्रमुख मंदिरों की स्थापना की जाएगी. इन मंदिरों में सूर्य, भगवती, अन्नपूर्णा, शिवलिंग, गणपति और पवन पुत्र हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित होंगी. इसके साथ ही, शेषावतार मंदिर में लक्ष्मण जी की मूर्ति भी स्थापित की जाएगी.
सभी मूर्तियां सफेद मकराना मार्बल से बनाई गई
सप्त मंडप में महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य मुनि, निषाद राज, शबरी और अहिल्या की मूर्तियां भी शामिल होंगी. ये सभी मूर्तियां सफेद मकराना मार्बल से बनाई गई हैं और इनका निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है. मूर्तियों के श्रृंगार, वस्त्र और आभूषणों की तैयारियाँ भी जोरों पर हैं.
तुलसीदास जी की मूर्ति पहले ही स्थापित हुई
चंपत राय ने बताया कि तुलसीदास जी की मूर्ति पहले ही स्थापित की जा चुकी है और श्रद्धालु अब यात्री सुविधा केंद्र के मंडप में उनके दर्शन कर सकेंगे. 15 अप्रैल के बाद इन मूर्तियों को जयपुर से अयोध्या लाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. जैसे-जैसे मूर्तियां अयोध्या पहुंचेंगी, उन्हें निर्धारित स्थानों पर स्थापित किया जाएगा. इन 18 मूर्तियों की स्थापना का कार्य लार्सन एंड टुब्रो द्वारा किया जाएगा.
अक्षय तृतीया के अवसर पर राम दरबार होगा स्थापित
30 अप्रैल को अक्षय तृतीया के अवसर पर राम दरबार को मंदिर के पहले मंजिल के गर्भगृह में स्थापित कर दिया जाएगा. जून में ट्रस्ट के सभी सदस्यों की उपस्थिति में तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया जाएगा, जिसमें जलवास, अन्नवास, औषधिवास और शैय्यावास जैसे अनुष्ठान होंगे.
2025 तक मंदिर का निर्माण पूरा होगा
शेषावतार मंदिर का निर्माण कार्य बाद में शुरू होगा, जिसके लिए अंदर के टावर क्रेन हटाए जाएंगे। इसके बाद परकोटे के उत्तर और दक्षिण हिस्से का निर्माण कार्य शुरू होगा. राम मंदिर का निर्माण कार्य अक्टूबर 2025 तक पूरी तरह से पूरा होने की उम्मीद है.
मंदिर के चार द्वार और उनकी धार्मिक महत्ता
राम मंदिर में चार प्रमुख द्वार बनाए जा रहे हैं. ये द्वार – उत्तरी दिशा का द्वार, क्रॉसिंग 11 का द्वार, क्रॉसिंग 3 का द्वार और राम जन्मभूमि का मुख्य प्रवेश द्वार होंगे. इन द्वारों के नाम रामानुज, शंकराचार्य, माधवाचार्य और रामानंदाचार्य की परंपराओं के आधार पर रखे जाएंगे, जो भारतीय आध्यात्मिक एकता का प्रतीक होंगे. चंपत राय ने बताया कि शिखर का पूजन हो चुका है और अब भुज दंड सहित अन्य हिस्सों की स्थापना क्रमबद्ध रूप से की जाएगी. प्रयागराज के पुरंदर दास और गिलहरी की प्रतिमाएं भी मंदिर परिसर में स्थापित होंगी.