लखनऊ: सीएम योगी के नेतृत्व में बीते आठ वर्षों में प्रदेश की सिंचाई व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार हुआ है. आंकड़े बताते हैं कि जहां 2017 में यूपी में कुल सिंचित क्षेत्र मात्र 82.58 लाख हेक्टेयर था. इसी क्रम में अब यह बढ़कर 133 लाख हेक्टेयर हो गया है. यानी 60 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोत्तरी. जिससे राज्य के 185 लाख से अधिक किसानों को सीधा लाभ मिला है.
गौरतलब है कि सरकार का दावा है कि अब कृषि योग्य भूमि का 86 फीसदी हिस्सा सिंचित है. साथ ही कृषि रकबा भी तेजी से बढ़ा है, जिससे यूपी देश का इकलौता राज्य बन गया है. जहां कुल भूमि का 76 फीसदी हिस्सा खेती में इस्तेमाल हो रहा है.
सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना
सीएम योगी ने सिंचाई के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत कई पुराने और अधूरे प्रोजेक्ट्स को एक बड़ी गति दी है. इनमें सबसे अहम है सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना, जिसे करीब 40 साल बाद पूरा किया गया. यह परियोजना पूर्वांचल के 9 जिलों के 30 लाख किसानों को लाभ देती है. इसके तहत 6,623 किमी नहरें बनाई गईं.
अर्जुन सहायक व बाण सागर परियोजना
इसी क्रम में अर्जुन सहायक परियोजना 2008 में प्रारंभ हुई थी. लेकिन, 2017 के बाद इसे तेजी से पूरा किया गया. इससे 69,000 हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हुई और 1.49 लाख किसानों का इससे फायदा हुआ. वहीं, बाण सागर परियोजना से भी 2 लाख किसानों को लाभ हो रहा है और 1.5 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा रही है.
976 सिंचाई परियोजनाएं हुईं पूरी, 5 लाख हेक्टेयर की क्षमता और बढ़ेगी
बता दें कि अब तक 976 छोटी-बड़ी परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं. सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले समय में कनहर, मध्य गंगा नगर फेज-2 और रोहिन नदी बैराज जैसी परियोजनाओं से 5 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचाई सुविधा दी जाए. इससे 7 लाख और किसान लाभान्वित होंगे.
नदी जोड़ो परियोजना
इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नदी जोड़ो परियोजना को भी तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है. इसके तहत केन-बेतवा लिंक परियोजना पूरी होने पर बुंदेलखंड के झांसी, महोबा, बांदा और ललितपुर के 2.51 लाख हेक्टेयर खेतों को पानी मिलेगा और 21 लाख लोगों को पीने का पानी उपलब्ध होगा.
सिंचाई से बढ़ा कृषि उत्पादन और आय
सरकार का दावा है कि सिंचाई व्यवस्था बेहतर होने से फसल उत्पादन और किसानों की आय दोनों में सुधार आया है. नई योजनाओं जैसे सोलर पंप, चेक डैम, खेत तालाब, अमृत सरोवर, मॉडल तालाब, गंगा तालाब के जरिए पानी को संरक्षित करने और सस्ते सिंचाई साधन उपलब्ध कराने की दिशा में भी बड़े कदम उठाए जा रहे हैं.