संभल: जिले में 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा के मामले में जामा मस्जिद के सदर जफर अली को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. अरेस्ट करने के बाद पुलिस कड़ी सुरक्षा के बीच जफर को मुरादाबाद जेल लेकर गई है. एडवोकेट सदर जफर अली पर भीड़ एकत्रित कर हिंसा भड़काने का आरोप लगा है. सदर की गिरफ्तारी के दौरान प्रशासन की ओर से एहतियात के तौर पर 5 थानों की पुलिस फोर्स मौजूद रही.
गिरफ्तारी के बाद जफर अली को RRF के लगभग 50 जवानों और पुलिस कर्मियों की सुरक्षा में पुलिस की जीप में बैठाया गया. जफर अली गिरफ्तारी के समय अपनी अधिवक्ता की ड्रेस में थे. पुलिस जीप में बैठते हुए जफर ने हाथ हिलाकर लोगों का समर्थन मांगा और फिर वो पुलिस की जीप में जाकर बैठ गए. जिस समय जफर अली को चंदौसी की ADJ कोर्ट द्वितीय ले जाया जा रहा था, सड़क के दोनों ओर बड़ी संख्या में RRF के जवान मुस्तैद रहे.
वहीं, संभल की वर्तमान स्थिति को देखते हुए प्रशासन अब पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है. SP और ADM ने संवेदनशील क्षेत्रों में पुलिस फोर्स के साथ गश्त किया. पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी हिंदू-मुस्लिम की संयुक्त आबादी वाले क्षेत्रों की खुद निगरानी रख रहे हैं. रोजा इफ्तारी के वक्त भी संवेदनशील इलाकों में पुलिस ने फ्लैग मार्च कर रही है. वहीं, जफर अली की गिरफ्तारी के बाद संवेदनशीलता को देखते हुए शहर के अलग-अलग इलाकों में सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है और चौक-चौराहा पर भारी पुलिस फोर्स की तनाती की गई है.
हिंदू पक्ष का जामा मस्जिद को लेकर दावा है कि यहां पहले हरिहर मंदिर था, जिले मुगल आक्रांता बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया. इसी दावे को लेकर 19 नवंबर, 2024 को संभल कोर्ट में याचिका दायर हुई थी. उसी दिन सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह ने मस्जिद के अंदर सर्वे करने का आदेश दे दिया था. कोर्ट ने एडवोकेट कोर्ट कमिश्नर की नियुक्त कर उसी दिन पुलिस की टीम के साथ शाम 4 बजे मस्जिद का सर्वे करने के लिए भेज दिया. 2 घंटे तक चले सर्वे के दौरान मौके पर लोगों की बड़ी भीड़ एकत्रित हो गई. लोगों की भीड़ ने पुलिस की टीम पर जमकर पथराव किया. इसके बाद ही वहां पर हिंसा भड़क गई. इस दौरान गोली लगने से 5 लोगों की मौत हो गई थी. साथ ही करीब 18 पुलिस कर्मी भी गंभीर रूप से घायल हो गए थे.
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