प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने महाकुंभ में भगदड़ और गड़बड़ियों की जांच CBI से कराई जाने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. हाईकोर्ट की ओर से इस जनहित याचिका को औचित्यहीन बताया गया है. ये याचिका सोशल कार्यकर्ता केशर सिंह, योगेंद्र कुमार पांडेय और कमलेश सिंह की ओर से दाखिल की गई थी. कोर्ट के फैसले के बाद यूपी की योगी सरकार को बड़ी राहत मिली है.
दरअसल, प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर भगदड़ की घटना हुई थी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय में इस मामले को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी. यायिका में मांग की गई थी, कि मामले की जांच CBI से कराई जाए. 11 मार्च को इस मामले की सुनवाई पूरी करने बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, और आज सोमवार को कोर्ट इस याचिका को खारिज कर कोर्ट ने अपना फैसला सार्रजनिक किया.
इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से कहा गया कि याचिका का कोई ठोस आधार नहीं है. साथ ही प्रदेश सरकार इस मामले की पहले से ही जांच करा रही है. ऐसे में आज हाई कोर्ट का ये आज का फैसला यूपी की योगी सरकार के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, क्योंकि इससे उनके प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने वालों को तगड़ा झटका लगा है.
वहीं, अब राज्य सरकार के पास महाकुंभ भगदड़ की जांच कराने की पूरी जिम्मेदारी बनी रहेगी. महाकुंभ के दौरान संगम नोज पर 29 जनवरी की रात करीब 1 बजे भीड़ काफी ज्यादा बढ़ गई थी. इसी दौरान वहां पर अचानक से भगदड़ मच गई थी. हादसे में करीब 32 लोगों की मौत हो गई थी. कई लोग घायल भी हुए थे. घायल लोगों का प्राथिक इलाज कराने के बाद उन्हें वापस घर भेजा गया था.