लखनऊ; उत्तर प्रदेश पुलिस का इतिहास अनेक सामाजिक और प्रशासनिक परिवर्तनों से भरा पड़ा है. यह संस्था न केवल कानून व्यवस्था बनाए रखने का काम करती है, बल्कि समय-समय पर सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं से भी जुड़ी रहती है. हालांकि, एक समय ऐसा भी आया था जब थानों में जन्माष्टमी उत्सव मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. वहीं, आज यूपी पुलिस जन्माष्टमी भी मानती है और होली पर रंग भी खेलती है.
कोतवाली में जन्माष्टमी
जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व, उत्तर प्रदेश में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है. यह प्रदेश श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा-वृंदावन का केंद्र भी है, जहां इस पर्व की भव्यता देखते बनती है. परंपरागत रूप से, उत्तर प्रदेश पुलिस के कई थानों में जन्माष्टमी के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना, झांकी सजाने और भजन-कीर्तन के आयोजन की परंपरा रही है. थानों में जन्माष्टमी मनाने की परंपरा पुलिस के भीतर धर्म और आध्यात्मिकता की स्वीकृति को भी दर्शाती थी. वहीं, कई पुलिसकर्मी व्यक्तिगत आस्था के आधार पर भी इस आयोजन में भाग लेते थे.
जन्माष्टमी मनाने पर लगा प्रतिबंध
उत्तर प्रदेश पुलिस के इतिहास में एक ऐसा समय भी आया जब थानों में जन्माष्टमी मनाने पर प्रशासन ने रोक लगा दी थी. इस प्रतिबंध के पीछे मुख्य रूप से धर्मनिरपेक्षता और सरकारी संस्थानों में किसी विशेष धार्मिक गतिविधि को रोकने की नीति का हवाला दिया गया. सरकारी आदेशों में कहा गया कि थाने और सरकारी कार्यालय कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए होते हैं, न कि धार्मिक आयोजनों के लिए.
यह प्रतिबंध कुछ लोगों के लिए एक प्रशासनिक फैसला था, तो कुछ के लिए यह सांस्कृतिक विरासत पर चोट के समान था. विरोध करने वालों का तर्क था कि जब दशकों से यह परंपरा चली आ रही थी, तब अचानक इसे रोकने की जरूरत क्यों महसूस हुई?
विवाद और जनभावना
थानों में जन्माष्टमी पर प्रतिबंध लगने के बाद कई स्थानों पर इस मुद्दे पर बहस छिड़ गई. कुछ लोग इसे धर्मनिरपेक्षता का पालन मान रहे थे, तो कुछ का मानना था कि यह हिंदू आस्थाओं पर एक तरह की चोट थी.
विरोधियों का कहना था कि अगर सरकारी दफ्तरों में स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या अन्य गैर-धार्मिक कार्यक्रम हो सकते हैं, तो जन्माष्टमी जैसे सांस्कृतिक आयोजन पर रोक क्यों? कई संगठनों ने इसे हिंदू धार्मिक परंपराओं को दबाने का प्रयास बताया, जबकि प्रशासनिक अधिकारियों ने इसे तटस्थता बनाए रखने का फैसला करार दिया.
वर्तमान स्थिति
हाल के वर्षों में उत्तर प्रदेश में सरकारों की बदलती नीतियों के कारण पुलिस थानों में जन्माष्टमी मनाने की अनुमति फिर से दी जाने लगी है. कई थानों में अब पहले की तरह झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान कृष्ण की पूजा होती है.
सरकार का मानना है कि जब तक कोई धार्मिक आयोजन प्रशासनिक कार्यों में बाधा नहीं डालता, तब तक इसे रोकने की जरूरत नहीं है. साथ ही, पुलिस बल में आस्था रखने वाले कर्मियों के लिए यह एक मनोबल बढ़ाने वाला कारक भी साबित हो सकता है.
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश पुलिस के थानों में जन्माष्टमी पूजा पर प्रतिबंध लगना और फिर इसे पुनः अनुमति मिलना, प्रशासनिक निर्णयों और सामाजिक भावनाओं के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को दर्शाता है. यह घटना न केवल धर्मनिरपेक्षता और सांस्कृतिक विरासत के टकराव को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि समाज में परंपराओं और प्रशासनिक नियमों के बीच तालमेल कैसे बनाए रखा जाए.