उत्तर प्रदेश/बिहार: उत्तर प्रदेश और बिहार के कई निजी अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. उत्तर प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग इस मामले को काफी गंभीरता से ले रहा है. आयोग ने उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य निदेशक से 4 मार्च तक रिपोर्ट सबमिट करने की मांग की थी. इसके बाद बाद 5 मार्च को आयोग के समक्ष सुनवाई भी हुई थी. वहीं, अब उत्तर प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 7 अप्रैल की तारीख नियत की है.
जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश और बिहार के कई प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना में फर्जीवाड़ा किए जाने की बात सामने आई थी. निजी अस्पतालों द्वारा बिना किसी बीमारी के मरीजों का ऑपरेशन दिखाकर प्रदेश सरकार से धनराशि की वसूली की जा रही थी. ये फर्जीवाड़ा बिहार और उत्तर प्रदेश के कई निजी अस्पतालों में सामने आ चुका है. मामले की गंभीरता को लेकर मानवाधिकार वकील एसके झा ने बिहार और यूपी राज्य मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में 3 अलग-अलग याचिका दायर की हैं.
इस पूरे मामले में आयोग में याचिका कर्ता मानवाधिकार वकील एसके झा का कहना है कि ये मामला मानवाधिकार कानून के उल्लंघन का अति गंभीर मामला है. साथ ही ये चिकित्सकीय अपराध से संबंधित है. इस मामले में डॉक्टर और पूरे अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. साथ ही इसमें संलिप्त अल्ट्रासाउंड केंद्रों, फर्जी आधार कार्ड और आयुष्मान कार्ड बनाने वाले केंद्रों पर भी कठोर कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए.
वहीं, अब उत्तर प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग ने मानवाधिकार मामलों के जानकार वकील एसके झा से रिपोर्ट की मांग की है. इसके बाद मामले में आगे की सुनवाई अब 7 अप्रैल को होनी है. वकील एसके झा अब अपनी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग को सौंपेंगे, जिसके आधार पर आयोग की ओर से आगे की कार्रवाई की जाएगी. दरअसल, यूपी और बिहार के कई प्राइवेट अस्पतालों ने आयुष्मान भारत योजना में फर्जीवाड़ा कर बिना बीमारी मरीजों का ऑपरेशन किया था और राज्य सरकार से धन की उगाही की थी. इसके बाद ये मामला 27 जनवरी 2025 को मानवाधिकार आयोग पहुंचा था.