अलीगढ़: जिले की कृष्ण गुप्ता नाम की एक महिला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रेरणा लेकर अपने किचन की शुरुआत की है. इस किचन का नाम मां अन्नपूर्णा सीता रसोई रखा है. उन्होंने बताया कि उनकी रसोई में गरीब और जरूरतमंद लोगों को 5 रुपए में भरपेट भोजन आसानी से मिल जाता है. यहां पर प्रतिदिन 300 से 400 लोग भरपेट भोजन करते हैं.
बता दें कि कृष्ण गुप्ता की मां अन्नपूर्णा सीता रसोई में महज 5 रुपए में लोगों को भरपेट भोजन मिलता है. इस किचन में दो तरह की सब्जी, रोटी और चावल के अलावा सलाद भी दिया जाता है. लोगों को चपाती वाली रोटी भी खाने के लिए दी जाती है. किचन की संचालक कृष्णा गुप्ता ने बताया कि गरीब और बेसहारा लोगों को देखते हुए उन्होंने इस किचन की शुरूआत की है. उनकी रसोई से पिछले काफी समय से गरीब, भूखे और जरूरतमंद लोगों को सेवाएं दी जा रही हैं. उन्होंने बताया कि किचन में दोपहर 12:00 बजे से दोपहर 2:00 तक चलता है. उसके बाद शाम को 6:00 बजे से रात 8:00 तक लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था रहती है.
कृष्णा गुप्ता ने बताया कि इस किचन का संचालन करीब 3 साल हो रहा है. किचन संचालित होने के बाद क्षेत्र की कई महिलाएं रोजगार से जुड़ी हैं. रोजगार मिलने के बाद उनका जीवन स्तर भी सुधरा है. उनको देखते हुए क्षेत्र की अन्य महिलाएं भी किसी न किसी रोजगार से जुड़ रही हैं. वहीं. कृष्णा गुप्ता ने बताया कि उनकी मां अन्नपूर्णा सीता रसोई में खाना खाने वाले लोगों के लिए बैठने की उचित व्यवस्था है. लोग किचन में अपना जन्मदिन और शादी की सालगिरह भी मनाने आते हैं.
वहीं, गोंडा के मालवीय नगर की रहने वाली वंदना सिंह भी कई राज्यों की पारंपरिक परिधान बनाने का व्यवसाय करती हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने इस काम की शुरूआत साल 2017 में 25 हजार रुपए की पूंजी लगाकर की थी. इधर, पांच सालों उनका कारोबार काफी बढ़ चुका है. उनके व्यवसाय से क्षेत्र की करीब 36 से अधिक महिलाएं जुडी हैं. इसके अलावा कई पुरुष भी काम करते हैं. सभी की आमदनी 18 हजार से 20 हजार रुपए तक है.
उधर, मथुरा के छाता ब्लॉक सांखी गांव की रहने वाली राजकुमारी क्षेत्र की महिलाओं को हुनर सिखाकर आत्मनिर्भर बनाने का काम कर रही है. उन्होंने बताया कि साल 2020 से गांव की कई बेरोजगार महिलाओं को उन्होंने रोजगार शुरू करने के गुर सिखाए हैं. रोजगार से जुड़ कर महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी होकर आत्मनिर्बर बन रही हैं. इन महिलाओं को गुलाल, माला और आर्ट बनाना सिखाया है. उन्होंने बताया कि महिलाओं को प्रशिक्षित करने के लिए वो उनसे कोई भी शुल्क नहीं लेतीं. उनके समूह में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाएं अपना खुद का व्यवसाय कर रही हैं और हर महीने करीब 20,000 रुपए से अधिक कमा रही हैं.