प्रयागराज: 144 साल बाद अद्भुत संयोग में आयोजित विश्वविख्यात महाकुंभ अब खत्म हो चुका है. 45 दिनों तक महाकुंभ क्षेत्र के रेत पर लगे तंबुओं को अब हटाना शुरू कर दिया गया है. दुनिया का सबसे बड़ा महामेला 4,000 एकड़ जमीन पर आयोजित किया गया था. हालांकि, महाकुंभ की समाप्ति के बाद अब सभी तरह की व्यवस्थाएं समेटी जाने लगी हैं.
बता दें कि दुनियां के सबसे बड़े महा आयोजन यानी महाकुंभ में करीब एक लाख से अधिक टेंट लगाए थे. महाकुंभ की समाप्ति के बाद अब इन तंबुओं को उखाड़ने का काम शुरू हो गया है. इन तंबुओं को हटाने के लिए करीब 10 हजार से अधिक मजदूरों को लगाया गया है. ये मजदूर दिन-रात तंबू हटाने के काम में जुटे रहेंगे. हालांकि महाकुंभ का सामान एक जगह रखने के लिए गोदाम बनाए हैं.
13 जनवरी से लेकर 26 फरवरी तक संगम द्वार पर करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमडती थी कि तिल रखने तक की जगह नहीं बचती थी. वहां पर आज सन्नाटा पसरा हुआ है. 45 दिनों तक महाकुंभ में जहां तक लोगों की निगाह जाती थी, वहां तक भगवा रंग के साधु-संत, श्रद्धालुओं का जन सैलाब और भीड़ को नियंत्रित करते पुलिसकर्मी नजर आते थे. लेकिन आज वहां पर सन्नाटा छाया हुआ है. गाड़ियां तो चल रही हैं, लोग भी आवागम कर रहे हैं, लेकिन अब वो चमक-दमक नहीं देखने को मिल रही है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि अब ऐसा लग रहा हैं मानों वे 45 दिन वाली चकाचौंध महाकुंभ के खत्म होने के बाद एकदम से गायब हो गई है. इससे पहले लोग महाकुंभ को लेकर लोग इतने उत्साहित और आस्था से भरे थे कि ट्रेनों और बसों में धक्के खाते खिंचे चले आ रहे थे. महाकुंभ क्षेत्र को देख कर ऐसा लगता था कि जैसे संगम घाट पर संसार बस गया हो. जिले के लोगों ने कहा कि प्रयागराज ने दम भर करोड़ों श्रद्धालुओं का किया. अब वो रौनक 12 सालों बाद देखने को मिलेगी.