New Delhi: कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सीआईए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच संबंधों का झूठा दावा किया है. उन्होंने धीरेन्द्र झा की किताब Golwalkar: The Myth Behind the Man, The Man Behind the Machine का हवाला देते हुए कहा कि RSS और अमेरिकी एजेंसी सीआईए के बीच गहरे संबंध थे. खेडा ने यह भी आरोप लगाया कि संघ ने 1966 के गौ-हत्या निषेध आंदोलन और कांग्रेस अध्यक्ष के. कामराज की हत्या के प्रयास व नेहरू को हराने के लिए के लिए सीआईए से फंडिंग ली थी.
झूठी कहानी का आधार
दरअसल, कांग्रेस की यह कहानी 1967 में अमेरिकी नागरिक जॉन स्मिथ द्वारा किए गए एक तथाकथित दावे पर आधारित है. स्मिथ ने सोवियत यूनियन के एक पत्रिका में यह दावा किया था कि RSS और सीआईए के बीच संबंध हैं. इन दावों का अंग्रेजी में अनुवाद कर सीपीआई ने भारत में प्रकाशित किया, जिसमें भारतीय सेना, RSS और जनसंघ की बढ़ती लोकप्रियता को धूमिल करने की साजिश की गई थी.
मानहानि का मुकदमा
1969 में, ब्रिगेडियर ईटी सेन (रिटायर्ड) ने सीपीआई द्वारा प्रकाशित इस लेख पर मानहानि का मुकदमा दायर किया था, जिसमें यह दावा किया गया था कि वह सीआईए के एजेंट थे. अदालत ने सीपीआई से माफी मंगवाई और कहा कि ऐसे झूठे दावों को प्रकाशित नहीं किया जाए. इसके बावजूद, कारवां, धीरेन्द्र झा, शशि थरूर और पवन खेड़ा जैसे लोग इस झूठी कहानी को फैलाते रहे हैं.
जॉन स्मिथ का सच
जॉन स्मिथ को सीआईए का एजेंट बताने का दावा पूरी तरह से झूठा है. अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के अनुसार, स्मिथ को 29 अक्टूबर 1950 को कम्युनिकेशन क्लर्क के तौर पर नौकरी दी गई थी, जिसके बाद उसने 1959 में इस्तीफा देकर भारत छोड़ दिया था. इस तरह, 1962 में कृष्णा मेनन को हराने और 1966 के गौ-हत्या निषेध आंदोलन के दौरान उसके संघ से संपर्क करने का सवाल ही नहीं उठता. दावा है कि इस प्रकार, यह पूरी कहानी राजनीतिक उद्देश्य से फैलायी जा रही है, जिसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है.